यहां सूखे बोर से निकला कुछ ऐसा कि मच गई लूट

Gaurav Sharma
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बैतूल, वाजिद खान। जिले के पास सेलगांव में एक सूखे बोर से निकल रहे तरल ने सबको हैरत में डाल दिया है। डीजल जैसे दिखने वाला ये  तरल से न केवल वैसी ही बू आ रही है बल्कि यह आग में डालने पर भड़क कर ज्वलनशील पदार्थ जैसी प्रतिक्रिया भी दे रहा है। पीएचई विभाग ने आज देर शाम इसकी सैम्पलिंग कर जांच शुरू कर दी है। उधर बोर से डीजल निकलने की अफवाह के बाद लोग इसे बटोरने के लिए कुप्पियाँ ,बोतले लेकर पहुंच रहे है।

घटना साईंखेड़ा थाना इलाके के सेलगांव पंचायत के करीब चारबन की है। बताया जा रहा है कि पांच साल पहले पीएचई विभाग ने यहां पेयजल के लिए बोर किया था, लेकिन यह 400 फुट गहराई के बावजूद सूखा निकला था।जिसे वैसे ही छोड़ दिया गया था। पूरे मामले की जानकारी मिलते ही विभागीय कर्मचारियों को मौके पर भेजा गया ,वहीं इस बोर से सैम्पल एकत्रित कर जांच के लिए भेजे जा रहे है। यह तरल दिखने में डीजल,मिट्टी तेल जैसा ही दिख रहा है।

विभाग के अधिकारियों के मुताबिक  कराई गई सैम्पलिंग में उक्त तरल पेयजल प्रतीत नहीं हो रहा है। इस मामले की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। इधर तरल के निकलने के बाद ग्रामीण इसे डीजल मानकर इसे इकट्ठा करने कुप्पियाँ बोतले लेकर पहुंच रहे है। जिसके बाद मौके पर पुलिस जवानों को तैनात किए गया है। इस तरल को आग में डालने पर यह तेजी से आग पकड़ रहा है। वही इसकी बू भी पेट्रोलियम पदार्थ जैसी है।

पीएचई अधिकारियों का कहना है कि बैतूल में पानी को चेक करने के लिए लैब है, लेकिन यह जो तरल है इसकी जांच बैतूल में नहीं हो सकती है, इसे बाहर भेजा जाएगा और जांच के बाद पता चलेगा कि आखिर बोर में से निकलने वाला तरल क्या है । वैसे जानकार बताते हैं कि कच्चा तेल रिफाइंड होने के बाद उससे डीजल बनता है। ऐसे सीधे तौर पर डीजल नहीं निकलता है । इसलिए यह तरल डीजल नहीं हो सकता है लेकिन ज्वलनशील होने के कारण जांच के बाद पता चलेगा कि आखिर इसमें ऐसे कौन से तत्व है जिसके कारण आग लग रही है ।

पीएचई प्रभारी एसडीओ रवि वर्मा का कहना है कि सूचना मिली थी कि सेलगांव के पास सरकारी बोर में कोई ज्वलनशील पदार्थ निकला है। लोग उसे डीजल समझ कर ले जा रहे हैं। टीम भेजकर इस तरल पदार्थ का सैंपल लिया गया है इसकी गंध पेट्रोलियम पदार्थ जैसी है जांच होने के बाद पता चलेगा कि यह तरल क्या है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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