Helicopter से दिलवाले आए अपनी दुल्हनिया लेने, शादी बनी गांव में आकर्षण का केंद्र, देखें वीडियो

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/सिवनी-मालवा, राहुल अग्रवाल। आपने शादियां (Marriages) तो बहुत देखी होगी, पर सोशल डिस्टेंसिग (Social Distancing) वाली शादी आपने नहीं देखी होगी। कोरोना (corona) को देखते हुए सैकड़ों एकड़ के मैदान में शादी का शामियाना सजाया गया था, जिसमें राजस्थानी राजपूत परम्परा (Rajasthani Rajput Tradition) के अनुसार हुई शादी को देखने भारी संख्या में लोग पहुंचे। जो सिर्फ शादी की व्यवस्थाएं देखने आए थे। शादी में दूल्हे को हेलीकॉप्टर (Helicopter) से लाना आकर्षण का केंद्र था, जिसे देखने पूरा गांव आया था।

हेलीकॉप्टर से आया दूल्हा

दरअसल, ये शादी थी सिवनी-मालवा के मुड़िया खेड़ी के भाजपा के वरिष्ठ नेता शंभू सिंह भाटी जिला पंचायत उपाध्यक्ष एवं सुरेंद्र सिंह भाटी की भतीजी की। जिसकी बारात जोधपुर से आई थी। बारात के रुकने के लिए सैकड़ों एकड़ में 50 से ज्यादा हेरिटेज टेंट लगाए गए थे। जहां 10-10 फिट के अंतर में लगे टेंट में सोशल डिस्टेंसिग का पालन भी हो रहा था। वहीं हेलीकॉप्टर (Helicopter)से आये दूल्हे को राजाओं की तरह लाया गया।

 

जिले में यादगार बनी शादी

बात दें कि शम्भू सिंग भाटी भाजपा के कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते है। विधानसभा क्षेत्र के अपने जिला पंचायत में सबसे ज्यादा विकास काम कर अपनी अलग पहचान बनाने वाले मिलनसार नेता है, जो हर वर्ष इसी प्रकार के भव्य आयोजन, रैली समारोह कर लोगों में अपनी अलग छाप छोड़ते है। वहीं उन्होंने अपनी भतीजी की शादी को यादगार बनाने के लिए ऊंट, हाथी, लोक-गीत के साथ राजस्थानी माहौल में कराई। जो जिले में यादगार बन गई।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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