नन्हे से कदमों का बड़ा कारनामा, 5 से 7 किलोमीटर चुटकियों में दौड़ लेता है भोपाल का Varenyam

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में रहने वाले वरेण्यम (varenyam) ने महज 6 साल की उम्र में एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है। वरेण्यम इतनी छोटी सी उम्र में 5 से 6 किलोमीटर आराम से दौड़ लेते हैं और वह रोजाना पांच से 6 किलोमीटर दौड़ लगाते हैं, वो भी बिना थके। कोरोना काल के चलते लगे लॉकडाउन ने लोगों को अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिभाएं पहचानने का मौका दिया है। कुछ लोगों ने कला के क्षेत्र में तो कुछ ने खेल के क्षेत्र में अपने इंटरेस्ट को पहचाना है। भोपाल के वरेण्यम की भी कहानी कुछ इसी तरह है।

लॉकडाउन (Lockdown) के चलते हुए स्कूल बंद (School Closed) के कारण वरेण्यम (Varenyam) घर पर ही रहता था, जिसके बाद उसने अपने पिताजी आ दादा जी के साथ सुबह सैर (Morning Walk) पर जाना शुरू किया। रोज सुबह सैर पर जब वरेण्यम (varenyam) अपने दादा जी और पिताजी के साथ जाने लगा तो उसके दादाजी ने उसे बताया कि दौड़ना सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है, उन्होंने उसके बताया कि दौड़ने से कोई बीमारी नहीं होती है। जिसके बाद वरेण्यम ने दौड़ना शुरू कर दिया। वरेण्यम (varenyam) ने रोजाना 3 किलोमीटर दौड़ लगाने की आदत शुरू की जो कि अब बढ़कर 5 से 7 किलोमीटर हो गई है।

वरेण्यम (varenyam) को जब उसके पिता ने दौड़ता हुआ देखा तो उसका वीडियो (video) बनाना शुरु कर दिया। वरेण्यम के पिता ने उसे दौड़ता हुआ देख यह पाया कि वह अन्य बच्चों की भांति नहीं बल्कि एक एथलीट की भांति बिना रुके बिना थके दौड़ रहा है और आगे चलकर वह एक बड़ा धावक (Runner) बन सकता है। इसके बारे में वरेण्यम के पिता ने अपने दोस्तों से भी चर्चा की।

वरेण्यम के पिता ने उसका वीडियो बनाकर इंडियन रिकॉर्ड बुक (Indian Record Book) को भेजा, जहां उसका वीडियो सेलेक्ट हो गया। वरेण्यम  ने अपनी उम्र के बच्चों में यह रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया है। वरेण्यम 5 से 7 किलोमीटर एक प्रोफेशनल धावक (Professional Runner) की तरह आसानी से दौड़ लेता है। वही वरेण्यम (varenyam) द्वारा छोटी उम्र में इस उपलब्धि को पाने को लेकर उसके परिजनों का कहना है कि उन्हें उस पर गर्व है। परिजन कहते हैं कि उसकी एकाग्रता और रेगुलारिटी  लोगों के लिए प्रेरणा का विषय है।

परिजन कहते हैं कि वरेण्यम (varenyam) रोज सुबह 5:00 बजे उठ जाता है और दौड़ लगाने के लिए हमें भी प्रेरित करता है। परिजन आगे बताते हैं कि कॉलोनी के लोग भी उससे काफी प्रभावित है । वह उसे दौड़ता देख काफी खुश होते हैं।  बता दें कि वरेण्यम नेशनल रनिंग की तैयारी में जुट गया है, जिसके लिए वो रोजाना 7 किलोमीटर से ज्यादा दौड़ लगाता है। वरेण्यम को अपने लक्ष्य को पाने के लिए उसके परिजन उसे लगातार प्रेरित करते रहते हैं और उसका सहयोग करते हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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