बता दें कि डॉ. बीआर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (Dr. BR Ambedkar University of Social Sciences) वृद्धजनों (Senior citizen) की देखभाल के लिए यूनिवर्सिटी में एक अनूठा कोर्स शुरू किया गया है, जिसमें प्रो. आशा शुक्ला ने दाखिला लिया है। इसे लेकर कुलपति प्रो. शुक्ला का कहना है कि सीखने के लिए कोई उम्र की जरुरत नहीं होती है।
प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण कम सर्टिफिकेट कोर्स
इसी के संबंध में एमपी ब्रेकिंग (MP Breaking ) से खास बात चीत करते हुए प्रो. आशा शुक्ला ने बताया कि कोरोनाकाल में सामाजिक जिम्मेदारी को देखते हुए इस कोर्स का संचालन किया जा रहा है। क्योंकि कोरोनाकाल में लोग अस्पताल जाने से कतरा रहे है और ज्यादा से ज्यादा लोग घर पर ही इलाज कराना चाह रहे है। इसी के विधिवत जानकारी के लिए एक कोर्स डिजाइन करवाया गया है। जो एक महीने का था, लेकिन सभी की समय सीमा को देखते हुए इसे 30 घंटे का किया गया है। इस कोर्स का नाम प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण कम सर्टिफिकेट कोर्स (First Aid Training cum Certificate Course) है। कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने बताया कि इस कोर्स में उन्होंने 100 रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस जमा करके दाखिला लिया है।
पाठ्यक्रम की जानकारी
प्रो. आशा शुक्ला ने बताया कि जब अचानक किसी व्यक्ति को कोई परेशानी आ जाती है, जैसेः अचानक बीमार पड़ जाना, अस्थमा अटैक, पैर फिसल गया या किसी सांप का काट खाना, ऐसी अपातकाल समस्या को सजह रुप से हैंडल करने की शिक्षा इस पाठ्यक्रम में दी जाती है। जिससे लोग एकदम से हॉस्पिटल की ओर दौड़ भाग नहीं करेंगे। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से आप अपने घर पर ही प्राथमिक उपचार कर सकते है।
कोर्स की फीस है ना के बराबर
एमपी ब्रेकिंग के साथ चर्चा में प्रो. शुक्ला ने कहा कि इस कोर्स की फीस ना के बराबर रखी गई है, जिसमें यूनिवर्सिटी वालों का 200 रुपए और बाहर से एडमिशन लेने वालों के लिए 300 रुपए फीस रखी गई है। वहीं इसकी टाइमिंग भी यूनिवर्सिटी के समय से पहले रखी गई है। ताकि इछुक लोग इसमें शामिल हो सके। उन्होंने कहा कि ये एक उपयोगी पाठ्यक्रम है, जिसका फायदा परिवार को भी मिल रहा है। इस कोर्स के लिए अब तक चार बैच चल रहे है, जिन्हें कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए कोर्स का संचालन किया जा रहा है।
यूजीसी पैरामीटर के साथ संचालित हो रहा कोर्स
पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने वाले स्टूडेंट्स को लेकर प्रो. आशा शुक्ला ने बताया कि एक बैच में करीब 30 स्टूडेंट्स को बड़े से हॉल में बैठाया जाता है। अभी तक 180 स्टूडेंट्स पढ़कर निकल गए, जिसमें यूनिवर्सिटी के टीचर और आस पास के कॉलेज के लोगों ने हिस्सा लिया था। जिसके बाद अब इस कोर्स की डिमांड बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि इस कोर्स का यूजीसी पैरामीटर के अनुसार संचालन किया जा रहा है।
कुलपति ने साझा किया कोर्स का अनुभव
इस कोर्स में बाहर से भी लोग एडमिशन लेना चाहते है, तो इसके लिए प्रो. शुक्ला ने बताया कि अभी तक तो क्लासेस इंटरफेस चली है। लेकिन अगर ऑनलाइन क्लासेस की डिमांड आती है, तो इस पर विशेष रूप से विचार किया जाएगा। वहीं उन्होंने इस कोर्स में दाखिला लेने के बाद अन्य छात्रों के साथ उनका अनुभव कैसा रहा ये साझा करते हुए बताया कि सभी के साथ उनका एक्सपीरिएंस काफी अच्छा रहा। साथ ही कहा कि घरलू रूप में कैसे किसी बीमारी और घटना का बेहतर तरीके से प्राथमिक उपचार किया जा सकता है ये इस कोर्स में बखूबी बताया जा रहा है। उन्होंने अपनी पढ़ाई को लेकर कहा कि जब उन्होंने इस कोर्स में दाखिला लिया तो वह ‘कुलपति नहीं, बल्कि एक स्टूडेंट थी।’