कंप्यूटर बाबा आखिरकाल जेल से आये बाहर – वकीलों का माना आभार

इंदौर, आकाश धोलपुरे। पूर्व राज्यमंत्री नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा आखिरकार जेल में बिताये 11 दिन के कारावास के बाद गुरुवार शाम को इंदौर की केंद्रीय जेल से रिहा हो गए है। अवैध अतिक्रमण, धारा 151, मारपीट और जातिसूचक सहित अन्य मामलों को लेकर वो पिछले 11 दिनों से इंदौर की सेंट्रल जेल में बन्द थे और दीपावली के पहले माना जा रहा था कि उनकी रिहाई संभव है। लेकिन तमाम कानूनी अड़चनों के बाद बाबा कि रिहाई दीपावली के पहले नहीं हो सकी और आज जब कंप्यूटर बाबा जेल से बाहर निकले तो मीडिया से बात कर उन्होंने अपने वकील रविन्द्र सिंह छाबड़ा और विभोर खंडेलवाल को धन्यवाद दिया।

वही प्रशासन से डरने के सवाल पर कहा मैं कुछ नहीं बोलूंगा, इधर इस दौरान उन्होंने कहा कि सत्य की जीत है। बता दें कि कंप्यूटर बाबा की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के जाने माने एडवोकेट डॉ. ए.पी. सिंह भी इंदौर में थे और उन्होंने आज बाबा से मुलाकात कर व्यवस्थाओ पर जमकर सवाल उठाए थे।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।