सुशांत सिंह की मौत पर जारी बयानबाजी, पीसी शर्मा ने कहा- सुशांत की हत्या भला कौन कर सकता है?

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बॉलिवुड के अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत लगातार दो महीने से सुर्खियों में बनी हई है। कोई इसे आत्महत्या का नाम दे रहा है तो कोई हत्या का। राजनैतिक पार्टियां भी बयानबाजी करने से बाज नहीं आ रही है। सुशांत सिंह राजपूत के हत्या के मामले में राजनैतिक पार्टियों का आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। एक नया मामला मध्यप्रदेश से आया है, जहां कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने सुशांत सिंह हत्या को लेकर बयान दिया है, पूर्व मंत्री ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत हट्टा-कट्टा था, उसकी हत्या भला कौन कर सकता है। ये मामला आत्महत्या का है और जब तक इसकी जांच चल रही है। इसके बारे में किसी को भी कोई बयान नहीं देना चाहिए।

आगे पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। जांच के बाद इसके नतीजे भी जल्दी ही सामने आ जाएंगे। वहीं पूर्व मंत्री रिया चक्रवर्ती का पक्ष लेते हुए दिखे। पीसी शर्मा ने कहा कि उसने भी सुशांत सिंह का साथ दिया था और सीबीआई जांच की मांग की थी।

आगे पूर्व मंत्री का कहना है कि सुशांत सिंह की मौत का मामला एक पॉलिटिकल ड्रामा बन गया है, जिसका भाजपा बिहार चुनाव में मुद्दा बना कर फायदा लेना चाहती है। अगर सीबीआई जांच हो रही है तो फिर उसमें दूसरे लोगों को शांत हो जाना चाहिए। वहीं अगर सरकार को इस मामले में और ज्यादा लग रहा है तो वह रॉ से जांच करवा लें। सब कुछ सामने आ जाएगा।

वहीं देखा जाए तो पूर्व मंत्री का ब्यान प्रदेश के पूर्व और कांग्रेस के कद्दावर नेता सीएम दिग्विजय से पूरी तरह से असग है, पूर्व सीएम ने कहा था कि सुशांत सिंह आत्महत्या नहीं कर सकते है। दिग्विजय सिंह ने 2 दिन पहले जबलपुर में कहा था कि सुशांत सिंह राजपूत कलाकार थे और वह आत्महत्या नहीं कर सकते। उन्होंने कहा था कि सुशांत के व्यवहार और लोकप्रियता से नहीं लगता है उन्होंने सुसाइड किया होगा। अब सीबीआई जांच कर रही है तो मामला सच सामने आ जाएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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