जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद का किया गया विस्तार, बिजली-स्वास्थ्य की समस्याओं को लेकर किया जाएगा जन आंदोलन

Gaurav Sharma
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सीहोर, अनुराग शर्मा। मंगलवार को शहर के बस स्टैंड स्थित सम्राट कांप्लेक्स में जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद की एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान आधा दर्जन से अधिक पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस मौके पर परिषद के जिलाध्यक्ष विष्णु सम्राट प्रजापति और महिला विंग की अध्यक्ष मोहिनी अग्रवाल ने सर्व सम्मनित से समाजसेवी हरीश आर्य और नंदकिशोर संधानी को जिला उपाध्यक्ष बनाया है, इसके अलावा अन्य पदाधिकारियों में जेपी दुबे, नरेन्द्र डाबी, अरविन्द सेन आदि को मनोनित किया गया है। परिषद का कहना है कि पूरे जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके अलावा मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी की तानाशाही का खामियाजा हर वर्ग के उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। आम जनता अब मूलभूत सुविधाओं को लेकर काफी अधिक परेशानियों का सामना कर रही है।

बिजली उपभोक्ताओं को हो रही परेशान

इस दौरान बैठक में मौजूद पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले लंबे समय से बिजली बिलों ने उपभोक्ताओं को दो से तीन गुना करंट लगा दिया है। बिल देख उपभोक्ताओं के पैरों से नीचे जमीन खसकने लगी है। एक-एक कमरे में बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के घरों पर एक हजार से दो हजार रूपए तक के बिल पहुंचे हैं। इसके कारण बिजली उपभोक्ता परेशान है। बिजली बिल लेकर उपभोक्ता बिजली कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। कई उपभोक्ताओं के बिलों को ठीक नहीं किया जा रहा है। इसके कारण बिजली उपभोक्ता काफी परेशानी में हैं। मंगलवार को आयोजित बैठक में प्रमुख रूप से परिषद के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित मामा, प्रेमलता राठौर, अतिया औसफ, हीरु बेलानी, विवेक श्रीवास्तव, मयंक गोगिया, शरद शर्मा आदि शामिल थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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