खण्डवा में किया गया राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता पखवाड़े का आयोजन, नेत्रदान का दिया संदेश

Gaurav Sharma
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खण्डवा,सुशील विधानी। लायन्स क्लब खण्डवा व लायनेस क्लब खण्डवा द्वारा जिला द्रष्टिविहीनता समिति और नेत्रदान एवं देहदान जनजागृति समिति व सक्षम संस्था के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता पखवाड़े का आयोजन  किया गया। जानकारी देते हुए संयोजक नारायण बाहेती ने बताया कि 25 अगस्त से 8 सितंबर तक आयोजित नेत्रदान जागरूकता पखवाड़े में मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए शहर के प्रमुख स्थानों पर नेत्रदान जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे है।

अभियान में नेत्रदान की विस्तृत जानकारी के पम्पलेट वितरित करते हुये बताया कि हमारे भारत में लाखों लोगों को अपनी आंखों की रोशनी हासिल करने के लिए कार्नियल ट्रांसप्लांट की जरूरत है। दुर्भाग्य से 10% से भी कम लोगों को इसका लाभ मिल पाता है और बहुत सारे लोगों को दृष्टिहीन रहना पड़ता है। अतः नेत्रदान अवश्य करे व अन्य को भी प्रेरित
करे। जिनसे दृष्टिहीनों के जीवन मे उजाला हो सके। जागरूकता कार्यक्रम से प्रेरित होकर पखवाड़े में अब तक 210 व्यक्तियों द्वारा नेत्रदान संकल्प पत्र भरकर दिए गए ।

समिति के सहयोग से गत वर्षों में हजारो नेत्रदान संकल्प पत्र भरवाए गए। अब तक 460 व्यक्तियों के मरणोपरांत नेत्रदान करवाये गए। कार्यक्रम में लायन्स अध्यक्ष प्रमोदपुरी,सचिव प्रशान्त रामस्नेही,कोषाध्यक्ष,रितेश कपूर,लायनेस अध्यक्ष आशा उपाध्याय,सचिव भावना महोदय,कोषाध्यक्ष रीता मोर्य,समिति के नारायण बाहेती,गांधीप्रसाद गदले,राजीव शर्मा,व लायन्स परिवार के इकबाल शंकर गुलाटी,रेखा रामस्नेही,एन डी पटेल और अन्य सदस्यों ने नेत्रदान को अपने परिवार की परम्परा बनाने की अपील की। जागरूकता कार्यक्रम का समापन 8 सितंबर को होगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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