Farmer’s Protest : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- MSP को लेकर लिखित में आश्वासन देने को तैयार सरकार

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कृषि बिल (Agriculture bill) को किसानों  का आंदोलन (Farmer’s Protest) लगातार तेज होता जा रहा है। जहां किसान (Farmers) कृषि बिल को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार (Central Government) कानून वापस नहीं लेने की जिद पर अड़ी हुई है। वही आक्रोशित किसान संगठन ने टोल फ्री करते हुए हैं 12 दिसंबर को दिल्ली जयपुर और दिल्ली आगरा हाईवे को बंद करने की घोषणा की है। बुधवार को प्रस्ताव को ठुकराते हुए किसान नेताओं ने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।

वहीं आज गुरुवार को केंद्र कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर  (central agriculture minister narendra singh tomar)  ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Commerce and Industry Minister Piyush Goyal) के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Confrence) करते हुए कहा कि यह कानून किसानों के हित में बनाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि हम लिखित में एमएसपी (MSP) को लेकर आश्वासन (Assurance) देने के लिए तैयार हैं, किसान संगठन सरकार के प्रस्ताव पर विचार करें।

आगे कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि किसान ठंड में बैठे हैं, यह हमारे लिए काफी चिंता का विषय है । सरकार हर आपत्ति में बात करने के लिए तैयार है। जब भी किसान चाहे वे सरकार से चर्चा कर सकते हैं, हम किसान से चर्चा करने के लिए तैयार है।

आगे कृषि मंत्री ने कानून वापस लेने को लेकर कहा कि हम किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए उनके द्वारा दिए गए सुझावों की प्रतीक्षा करते रहे, लेकिन किसान कानून को वापस लेने की जिद पर अड़े हैं। कृषि बिल किसान की आजादी है। वन नेशन वन मार्केट से किसान अपनी फसल किसी को भी कहीं भी और किसी भी कीमत पर बेच सकते हैं। अब किसान को किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि बड़ी खाद्य उत्पादन कंपनियों के साथ पार्टनर की तरह जुड़कर मुनाफा कमा सकेंगे।

बता दें कि बुधवार को कृषि कानून में संशोधन करने को लेकर किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। साथ ही उन्होंने आंदोलन और तेज करने की बात कही थी। किसान नेताओं ने कहा कि आगामी 12 दिसंबर को जयपुर दिल्ली और दिल्ली आगरा एक्सप्रेस वे को किसानों द्वारा बंद किया जाएगा तथा आंदोलन को और तेज करते हुए 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा।

ज्ञात हो कि बीते मंगलवार को भारत बंद था । किसान संगठन के 13 नेताओं के साथ इसी दिन अमित शाह ने बैठक की थी । बैठक के दौरान सरकार की तरफ से एक लिखित में मसौदा देने पर सहमति बनी थी। जिसके बाद बुधवार को किसानों को मसौदा भेजा गया था, जिससे किसान संगठन द्वारा खारिज कर दिया गया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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