मंदिर में नमाज के बाद अब मस्जिद में पढ़ी गई हनुमान चालीसा, गूंजे जय श्री राम के नारे

Gaurav Sharma
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hanuman chalisa recited in mosque

मथुरा,डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश के मथूरा  के एक मंदिर में दो युवकों द्वारा नमाज पढ़ी गई थी, जिसके बाद से इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। अभी तक ये मामला शांत नहीं हुआ था कि एक और मामला सामने आया है जिसमें मथुरा के गोवर्धन इलाके  कि एक मस्जिद में 4 युवकों द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ किया गया और जय श्री राम के नारे भी लगाए गए।

hanuman chalisa recited in mosque

इसकी जानकारी लगते ही क्षेत्र में हड़कंप मच गया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने क्षेत्र में शांति भंग करने की कोशिश के आरोप के तहत युवकों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार युवकों के की पहचान कृष्णा ठाकुर, कान्हा, सौरभ और राघव मित्तल के तौर पर की गई है। पुलिस ने क्षेत्र में शांति भंग करने की कोशिश के आरोप के तहत युवकों को गिरफ्तार किया है।

 

मथुरा के एसएसपी गौरव ग्रोवर ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और अगर कोई भी व्यक्ति कोई गड़बड़ी करने की कोशिश करता है तो उसे कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रशासन शहर में शांति बनाए के लिए सदा प्रयासरत है। जिला मजिस्ट्रेट एसआर मिश्रा ने क्षेत्र में सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन भी दिया।

बता दें कि मथुरा के नंद बाबा मंदिर में दो मुस्लिम युवकों द्वारा 29 अक्टूबर को नमाज अता की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने दिल्ली निवासी फैजल खान के नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। वहीं नंद बाबा मंदिर में नमाज अता करने को लेकर फैजल खान ने कहा कि वो बहुत दिनों से सफर कर रहे थे। इस सफर को करने का उनका मकसद सिर्फ हिंदू-मुस्लिम एकता है।

हम इस यात्रा के जरिए मंदिर में जा रहे थे और लोगों से हिंदू-मुस्लिम की एकता की बात कर रहे थे। इसी कड़ी में हम नंदबाबा के मंदिर गए हुए थे। नमाज का समय होने पर वहां के लोगों ने हमे नमाज पढ़ने के लिए जगह दी तो हमने नमाज अता कर ली। उसकी बाद मंदिर के लोगों द्वारा हमें भोजन भी कराया गया। जिसके बाद हम दिल्ली वापस लौट आए।

मंदिर में नमाज के बाद अब मस्जिद में पढ़ी गई हनुमान चालीसा, गूंजे जय श्री राम के नारे


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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