स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभूराम चौधरी ने शहडोल जिला चिकित्सालय का किया निरीक्षण, कहा- डॉक्टरों से नहीं हुई कोई लापरवाही

Gaurav Sharma
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शहडोल, अखिलेश मिश्रा। शहड़ोल जिला चिकित्सालय में 13 बच्चों की मौत के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभूराम चौधरी शहडोल दौरे पर पहुंचे और सुबह कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय के पीआईसीयू, एसएनसीयू सहित विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री के साथ जिले के तमाम नेताओं के साथ तीनों विधानसभाओं के विधायकों के साथ सांसद शहड़ोल भी मौजूद रही।

दरअसल, शहडोल जिला चिकित्सालय में बीते 26 नवंबर से सोमवार तक पीआईसीयू और एसएनसीयू वार्डों में 18 बच्चों की मौत हुई है, लेकिन इन आंकड़ों का सच स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के एक दिन पहले ही सामनें आया। बीते 12 दिनों की बात करें एक-एक करके लगातार यहां बच्चों की मौत होती रही है। बता अगर शहड़ोल जिले की करें तो यहां की तीनों विधानसभाओं ब्यौहारी, जैतपुर और जयसिंहनगर के साथ ही शहड़ोल लोकसभा भी भाजपा के कब्जे में है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के साथ नजर आये ये सभी नेता अब तक नादारद थे।

हलांकि जिला चिकित्सालय निकलनें के पहले स्वास्थ्य मंत्री मीडिया‌‌ के सवालों से बचते नजर आये। लेकिन निरीक्षण के बाद स्वास्थ्य मंत्री नें मीडिया से चर्चा करते हुये कहा कि हमारे डॉक्टरों से किसी भी तरह की लापरवाही नहीं हुई है, लेकिन यदि कोई दोषी हुआ तो कार्रवाई की जायेगी। इतना ही नहीं पूरे प्रदेश में 20 बेड़ के एसएनसीयू वार्ड बनानें की तैयारी की‌ जा रही है। कुपोषण के मामले पर स्वास्थ्य मंत्री ने ज्यादा कुछ‌ ना कहते हुये कहा कि हमारी एनएचएम और मैदानी टीम लगातार इसके रोकथाम में लगी है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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