किसान आंदोलन को लेकर ये बोले कैलाश विजयवर्गीय, कोरोना वैक्सीन पर दिग्गी के वार पर किया पलटवार

Gaurav Sharma
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कैलाश विजयवर्गीय

इंदौर, आकाश धोलपुरे। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन पर कहा कि देश मे जो किसान आंदोलन चल रहा उसमे मुझे लगता है कि 90 प्रतिशत किसान उससे दूर है और 10 प्रतिशत किसान आंदोलन में सम्मिलित है बल्कि इस आंदोलन को जो ताकते सपोर्ट कर रही है वो इस देश के लिए आलार्मी है। विदेश में किसान आंदोलन का समर्थन हो रहा है।उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड के राष्ट्रपति ने किसान आंदोलन का समर्थन किया और कनाडा के राष्ट्रपति ने समर्थन किया। ऐसे में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव  ने सवाल उठाये कि उन्होंने क्यों समर्थन किया इसकी तह तक जाना चाहिये। ब्रिटेन में भारतीय दूतावास के सामने किसान आंदोलन का समर्थन किया ये कौन लोग इनकी तह में जाना चाहिए और समझना चाहिये कि किसानों के नाम पर राजनीति कौन कर रहा है।

विजयवर्गीय ने कहा इससे अच्छा बिल हो ही नही सकता है ये किसानों की समृद्धि का बिल है उनकी आमदनी को दुगुना करने वाला बिल है। वही उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि बिल के अंदर जो प्रावधान है उन्हें कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था पर किसानों ने कांग्रेस पर विश्वास नही किया और मोदी जी ने उन सब प्रावधानों को लागू कर दिया तो कांग्रेस को लगता है कि उनके हाथ का हथियार भी छीन लिया है। उन्होंने कहा कि किसानों को बिल के बारे में सोचना चाहिए।

वही कोरोना वेक्सीन को लेकर दिग्विजयसिंह द्वारा दिए गए हालिया बयान जिसमे उन्होंने वेक्सीन को लेकर जनता को गिनीपिग नही बनाने की बात को पुरजोर तरीके से रखा था। इस मामले में विजयवर्गीय ने दिग्गी पर पलटवार कर कहा कि दिग्विजयसिंह डॉक्टर है ही नही और जहां ज्ञान नही उस बात पर टिप्पणी नही करनी चाहिए इसलिए मैं भी कोई टिप्पणी नही करता हूँ। विजयवर्गीय ने कहा दिग्विजयसिंह एक सीनियर लीडर है और मैं उनको सलाह देता हूँ आपको यदि इस बारे में अल्पज्ञान है तो टिप्पणी न करे।

वही पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की घटना पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि बंगाल में लॉ एंड ऑर्डर खत्म हो गया है। वहां पुलिस और गुंडो का नेक्सस है जो वहां पर काम कर रहा है इसलिये वहां अराजकता का वातावरण है। वहां सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नही है और हमने राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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