कैलाश विजयवर्गीय ने लव जिहाद, बंगाल चुनाव और कोरोना को लेकर रखी अपनी राय, जानिए

Gaurav Sharma
Published on -

इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर के पितृ पर्वत पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से चर्चा करते हुए लव जिहाद, पश्चिम बंगाल चुनाव सहित अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान विजयवर्गीय ने वेब सीरीज के माध्यम से परोसी जा रही अश्लीलता के विरोध में भी अपनी राय रखी।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने लव जिहाद को लेकर कहा कि लव जिहाद की परिभाषा को समझना होगा। यह षड्यंत्रपूर्वक किया जाता है इसलिए ये गलत है । वही उन्होंने कहा कि लव जिहाद में कितने साल की सजा का प्रावधान हो इसका फैसला विधायक करेंगे।

इधर,  पश्चिम बंगाल के चुनाव को लेकर  विजयवर्गीय ने कहा कि बंगाल चुनाव में हमने मांग की है कि राज्य पुलिस को चुनाव से अलग रखा जाए। वही उन्होंने कहा कि बंगाल में सुपारी किलिंग शुरू हो गई है और घुसपैठियों के जरिये घटनाएं की जा रही है। इसके अलावा  OTT  प्लेटफार्म पर परोसी जा रही अश्लीलता पर विजयवर्गीय ने कहा कि मैं इसके विरोध में हूँ और केंद्र सरकार को चाहिए कि वो कंटेंट को नियंत्रित करने की व्यवस्था करे।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ने पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को लेकर कहा कि वे तो पहले से ही कट्टर हैं और एक कार्यक्रम में उन्होंने दीप नहीं जलाया था और जूते भी नहीं उतारे थे जिससे पता चलता है कि उनकी सोच कैसी है। इधर, इंदौर में कोरोना के बढ़ते मामलों पर विजयवर्गीय ने कहा की मैं दिन का कर्फ्यू लगाने के पक्ष में नहीं हूं, लेकिन लोगों को खुद की और समाज की चिंता करना चाहिए ।

 


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News