रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ाएं सहायक यंत्री, लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर लंबे समय बाद लोकायुक्त पुलिस ने शिकंजा कसा और इंदौर में अधिकारी को हजारों रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ धर लिया। दरअसल, गणेश बाग कॉलोनी इंदौर कि रहने वाली लक्ष्मी सोनी के घर के सामने एमपीईबी ट्रांसफार्म बंद पड़ा था, जिसे शिफ्ट कराने के लिए पोलो ग्राउंड स्थित पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर के ऑफिस में शिकायत की गई और बंद पड़े ट्रांसफार्मर की शिफ्टिंग के लिए  774 कृष्णा पैराडाइज एबी रोड के रहने वाले राजेंद्र राठौर ने सहायक यंत्री (उच्च दाब संधारण) मोहन सिकरवार से संपर्क किया।

लेकिन इस कार्य के लिए सहायक यंत्री सिकरवार ने 50 हजार की रिश्वत की मांग कर डाली। जिसके बाद राजेंद्र राठौर नामक युवक ने लोकायुक्त में इसकी शिकायत की। जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने एक योजना बनाई और उसमें सहायक यंत्री फंस गया। 50 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा सहायक यंत्री बातचीत के दौरान आखिरकर 40 हजार रुपये में मान गया। इसके बाद तय समय के मुताबिक बुधवार दोपहर को सहायक यंत्री मोहन सिकरवार को पोलो ग्राउंड स्थित उनके कार्यालय में 40,000 की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस ने ट्रेप कर लिया।

लोकायुक्त पुलिस को देखते से ही सहायक यंत्री के होंश उड़ गए और हरे नोटो की चकाचौंध के बीच उसके चेहरे का रंग लाल पीला हो गया। अब लोकायुक्त पुलिस सहायक यंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संशोधित अधिनियम 2018 की धारा 7 के तहत कार्रवाई कर रही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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