सीहोर, अनुराग शर्मा । कोरोन काल में नौकरीयों से हटाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में आज सीएम के गृह जिले सीहोर में 53 नर्सों को नौकरी से हटाने के आदेश जारी किए है। अस्पतालों के इस तुगलकी फरमान के खिलाफ नर्सों ने कलेक्टर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मदद की गुहार लगाई है। वही मामा बोलते हैं कि हम उनकी भांजी है भांजियों को 9 महीने बाद बिना कारण के अपने काम से निकाल कर हम लोगों को कोविड केयर सेंटर से निकाल दिया। हमारे पास कोई रोजगार नहीं है। अंदर हमने डिप्टी कलेक्टर से भी बात की तो वह बोले कि तुम्हारा 3 माह का अनुमान था की तीन माह बाद हटा देंगे, लेकिन अपनी जरूरतों के लिए 9 माह तक रखा। जब तक हम काम कर रहे थे तो सब बात करने तैयार थे, लेकिन आज जब हम अपनी पीड़ा बता रहे हैं तो कोई भी बात करने तैयार नहीं है। यह बात कोविड-19 स्वास्थ्य संगठन मध्य प्रदेश के जिला अध्यक्ष भारती मालवीय ने कहीं।
आगे उन्होंने कहा है कि जिले में कोरोना को लेकर 76 अस्थाई नर्सों 3 माह के लिए नियुक्ति की गई थी, लेकिन संक्रमण को देखते 9 माह तक रखा गया। लेकिन अचानक 53 नर्सों को हटा दिया जबकि 23 नर से अभी काम कर रही हैं। इतना ही नहीं कोरोना का प्रकोप अभी थमा नहीं है। दिन पर दिन कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिन के उपचार और देखभाल के लिए सभी स्टाफ की दर से उपस्थित है। नर्सों का कहना है कोरोना पॉजिटिव मारीच को छूकर उनका ब्लड प्रेशर ऑक्सीजन लेवल पल्स रेट देखते हैं। आईसीयू में भर्ती कोरोना वायरस मरीज जो संक्रमित रहते हैं उनकी देखरेख दवाई का भी दिनभर ध्यान रखते हैं।
नर्सों का कहना है कि हम जान जोखिम में डालकर इन सब को बचा रहे हैं और मामा हमें ही हटा रहे हैं। हम पिछले 9 माह से घर नहीं गए हैं, लेकिन अब जगह-जगह अस्पताल में पद रिक्त होने के बाद भी हमें संविदा पर भी नहीं रखा जा रहा है। नर्सों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पुनः विचार कर कोविड-19 सेंटरों पर नर्सों को रखकर रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की है। उनका कहना है कि हमारा पूरा परिवार का रहन-सहन हमारी नौकरी पर निर्भर है।