चयनित शिक्षाकर्मियों ने किया प्रदर्शन, केंद्रीय मंत्री के काफिले के सामने लेटे

Gaurav Sharma
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मुरैना, संजय दीक्षित। आज केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा मुरैना दौरे पर है। वहीं रेस्ट हाउस पहुंचने पर वहां के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया। वहीं चयनित शिक्षा कर्मी ने रेस्ट हाउस पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपकर शिक्षकों ने कहा कि उनकी परीक्षा होने के बाद उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है और ना ही वेरिफिकेशन किया जा रहा है। इस संबंध में काफी संख्या में शिक्षक चयन होकर घर बैठे हुए हैं।

बता दें कि कांग्रेस की सरकार के समय शिक्षकों की चयन की परीक्षा कराई गई थी। उसी समय से परीक्षा का कार्य अधूरा पड़ा है और चयन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद भी शिक्षक अपनी नौकरी पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे परेशान शिक्षकों ने ये भी कहा है कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो आगामी होने वाले उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे।

नेताओं के ज़बाब से असंतुष्ट शिक्षक आक्रोश में आ गये और गेस्ट हाउस के पास केन्द्रिय मंत्री की गाड़ी के आगे सड़क पर लेट गये और नारेबाजी करते रहे।आक्रोशित शिक्षकों को बमुश्किल पुलिस प्रशासन ने गाड़ी के सामने से  हटाया। उच्चतर माध्यमिक और शिक्षा माध्यमिक शिक्षा भर्ती प्रक्रिया में परेशान चयनित शिक्षाकर्मियों का कहना था कि पढ़े-लिखे आदमी भीख मांग रहे हैं ।आज सरकार शिक्षकों को इस तरीके से रुला रही हैं।कल से सरकार को हम रुलाएंगे, शर्म आनी चाहिए ऐसी सरकार को छोटे-छोटे बच्चों को लेकर करीब 4 घंटे से रेस्ट हाउस पर खड़े हैं,लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं की गई ।जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक चुनाव का पूर्ण तरीके से बहिष्कार करते हैं।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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