यहां पर सब्जी मंडी में उमड़ा हुजूम, उड़ाई गई सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी देवी अहिल्याबाई होलकर फल एवं सब्जी मंडी चोइथराम में बुधवार को कोविड – 19 के जरूरी दिशा निर्देशो के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। बुधवार सुबह आलम ये था कि समूचे मंडी परिसर में पैर रखने की जगह नहीं थी और बिना मास्क के किसान, व्यापारियों और खरीददारों जल्दी से माल बेचने व खरीदने की जुगत करते दिखाई दिए। चोइथराम क्षेत्र में स्थित फल एवं सब्जी मंडी से आज सुबह आई ताजा तस्वीरों ने ये तो साफ कर दिया है कि आखिरकार क्यों, इंदौर कोरोना की रडार पर हैं।

हालांकि मंडी में आज उमड़ी भीड़ के पीछे की वजह व्यापारियों द्वारा किया जाने वाला विरोध है। दरअसल, व्यापारियों ने पहले से ही मंडी प्रशासन के एक आदेश के बाद ये मन बना लिया था कि मंडी में अब हड़ताल की जाएगी। नए नियमो के तहत अब शहर में निजी उपमंडिया खोली जानी है और जिसके बाद व्यापारियों को आशंका है कि उनका व्यापार व्यवसाय ठप पड़ जायेगा।

लिहाजा, व्यापारियों के संगठनों ने गुरुवार से 3 दिन की हड़ताल का एलान विरोधस्वरूप कर दिया था और ये ही वजह है कल से शुरू होने वाली 3 दिनी हड़ताल के पहले खेरची व थोक विक्रेताओं में सब्जियों की खरीदी की होड़ मच गई और फिर लोगों ने कोरोना से बेपरवाह होकर सोशल डिस्टेंसिंग सहित सारे कोविड नियमो को ताक पर रख उनकी धज्जियां उड़ाई। हालांकि मंडी में भीड़ तो रोज लगती है लेकिन आज लगी भीड़, रेलम पेल में तब्दील हो गई। वही मंडी प्रशासन मूक दर्शक बनकर देखता रहा।

फिलहाल, कोविड नियमो का पालन न होने से शहर में कोरोना संक्रमण के फैलाव का खतरा बढ़ गया है। इधर, 3 दिन की हड़ताल के एलान के बाद किसान तो अन्य मंडियों में माल ले जा सकते है, लेकिन इंदौर के लोगों ऊंचे दामों पर सब्जियां खरीदना, मजबूरी हो जाएगी। क्योंकि पहले ही बारिश के चलते सब्जियों के दाम सातवें आसमान पर है और ऐसे में 3 दिनी हड़ताल के दौरान सब्जियों के दामो में बेहताशा वृद्धि देखी जा सकती है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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