सिपाही ने छुट्टी के लिए बनाया था पत्नी का बहाना, एएसपी हुए आग बबूला, किया लाइन अटैच

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अपने काम से छुट्टी (leave) लेने के लिए अक्सर लोगों को कई तरह से पापड़ बेलने पड़ते हैं। कोई तबीयत का बहाना बनाता है तो कोई इमोशनल ब्लैकमेल (Emotional Blackmail) करता है। एक ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) से आया है, जहां छुट्टी (Leave) के लिए अधिकारियों को इमोशनली ब्लैकमेल (emotional blackmail) करना एक ट्राफिक पुलिस सिपाही के लिए मुसीबत बन गया, पुलिस अफसर ने सिपाही को लाइन अटैच (line Attach) कर दिया।

पूरा मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही को लेकर है, जो की अक्सर छुट्टी पर ही रहता था। दोबारा छुट्टी बढ़ाने के लिए सिपाही ने अपने अधिकारी को एक अवेदन पत्र लिखा था, जिसमें उसने कहा था कि मेरे सगे साले की शादी है और अगर मैं शादी में नहीं पहुंचा तो पत्नी ने मुझे धमकी दी है कि आप परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। इस खत को पढ़ने के बाद एसपी गुस्से से आग बबूला हो गए, जिसके चलते उन्होंने उसे ड्यूटी से लाइन अटैच कर दिया। बता दें कि सिपाही बीते 11 महीने में 55 छुट्टियां ले चुका था।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।