सावधान! पानी की बर्बादी आपको खिला सकती है जेल की हवा, देना पड़ सकता है 1 लाख का जुर्माना

Gaurav Sharma
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ऩई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश में भूजल संरक्षण (water conservation) के इतिहास में एक ऐतिहासिक फैसला (historical desicion) लिया गया है, जिसके तहत पीने योग्य पानी (drinking water) या भूजल (under ground water) का बर्बादी (wastage) और दुरुपयोग (misuse), एक दंडनीय अपराध होगा। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत नागरिक निकायों को निर्देश दिया गया है कि वो अनुपालन नियम बनाए और लोगों से उसका जबरदस्ती पालन करवाया जाए। वहीं नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाए।

सीजीडब्ल्यूबी के अधिकारी बताते है कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत की जाने वाली कार्रवाई में पांच साल तक की कैद और प्रावधानों का पालन न करने पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

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दरअसल, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) द्वारा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम की धारा 5 के तहत जारी अधिसूचना अनुसरण में 15 अक्टूबर 2019 को आई थी जब राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal ) द्वारा राजेंद्र त्यागी बनाम भारत संघ मामले ( Union of India case) में निर्देशों को पारित किया गया था। दरअसल, याचिकाकर्ता ने पानी की बर्बादी करने और देश में दंडनीय अपराध का दुरुपयोग करने की मांग की थी।

जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) के तहत आने वाले प्राधिकरण द्वारा अधिसूचना में कहा गया है, “सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जल आपूर्ति से संबंधित नागरिक निकाय, चाहे वह जल बोर्ड, जल निगम, जल निर्माण विभाग, नगर निगम, नगर परिषद हो , विकास प्राधिकरण या पंचायत, यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध होगा कि भूमिगत से टैप किए गए पीने योग्य पानी की बर्बादी या दुरुपयोग न हो और उल्लंघन के लिए कठोर उपायों के साथ अनुपालन तंत्र विकसित किया जाए। ”

जारी की गई अधिसूचना में आगे कहा गया है कि देश का कोई भी व्यक्ति भूमिगत से दोहन किए गए पीने योग्य जल संसाधनों को बर्बाद या उनका दुरुपयोग नहीं करेगा।

ग्रीन ट्रिब्यूनल में राजेंद्र त्यागी का प्रतिनिधित्व कर चुके एडवोकेट आकाश वशिष्ठ ने मीडिया से चर्चा करते वक्त कहा कि, “पीने ​​योग्य पानी और भूजल का अपव्यय और दुरुपयोग भारत में दंडनीय अपराध होगा।”

आगे उन्होंने कहा किउन्होंने कहा , ” पर्यावरण या संरक्षण (अधिनियम), 1986 की धारा 15 (under Section 15 of the Environment (Protection) Act, 1986.”) के तहत अधिसूचना का पालन नहीं करने पर कारावास के साथ दंडनीय कार्रवाई की जाएगी, जो पांच साल तक की जेल या जुर्माना के साथ 1 लाख रुपये हो सकता है, या दोनों हो सकता है। मामले में अगर उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है, जो हर दिन 5,000 रुपये तक बढ़ सकता है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (environment protection act) की धारा 15 (section 15) नियमों का उल्लंघन करने पर दंड से संबंधित है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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