देवउठनी एकादशी से पहले खाटूश्यामजी मंदिर का पट बंद, कब खुलेंगे बाबा श्याम के दर्शन?

राजस्थान के प्रसिद्ध खाटूश्यामजी मंदिर के पट रविवार रात 10 बजे से बंद हैं। यह निर्णय बाबा श्याम के जन्मोत्सव (पाटोत्सव) और विशेष श्रृंगार की तैयारियों के कारण लिया गया है। मंदिर कुल 19 घंटे तक बंद रहेगा।

राजस्थान के प्रसिद्ध खाटूश्यामजी मंदिर के पट रविवार रात 10 बजे से बंद हैं। मंदिर कमेटी ने बताया कि आज (27 अक्टूबर) शाम 5 बजे के बाद ही भक्त बाबा श्याम के दर्शन कर सकेंगे। यह निर्णय बाबा श्याम के जन्मोत्सव (पाटोत्सव) और विशेष श्रृंगार की तैयारियों के कारण लिया गया है। मंदिर कुल 19 घंटे तक बंद रहेगा। देवउठनी एकादशी को बाबा श्याम का जन्मदिन मनाया जाता है, जिसके पहले विशेष पूजा और श्रृंगार किया जाता है।

खाटूश्‍यामजी का पट क्यों किया गया बंद?

श्रीश्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पृथ्वी सिंह चौहान ने बताया कि दीपावली के बाद अमावस्या पर बाबा श्याम को स्नान कराने की परंपरा है। इसके बाद कुछ दिनों तक बाबा अपने मूल स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। जन्मोत्सव से ठीक पहले तिलक श्रृंगार किया जाता है। इसी विशेष पूजा और सजावट के चलते भक्तों के लिए मंदिर को अस्थायी रूप से बंद रखा गया है, ताकि तैयारियों में किसी तरह की बाधा न आए।

संध्या आरती के बाद मंदिर के पट खुलेंगे

आज खाटूश्यामजी मंदिर में सुबह से ही पुजारी और सेवादार विशेष पूजा-अर्चना में जुटे हुए हैं। बाबा श्याम का तिलक श्रृंगार किया जाएगा, जिसमें विशेष फूलों, वस्त्रों और आभूषणों से अलौकिक सजावट की जाएगी। शाम 5 बजे संध्या आरती के बाद मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे, जिसके बाद भक्त बाबा श्याम के दर्शन कर सकेंगे।

मंदिर कमेटी के अनुसार, देवउठनी एकादशी के मौके पर हर साल करीब 10 से 15 लाख भक्त खाटू पहुंचते हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने सैकड़ों पुलिसकर्मियों की तैनाती की है। इसके अलावा निजी सुरक्षा गार्डों की मदद भी ली जा रही है ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।

खाटूश्यामजी मंदिर में देवउठनी एकादशी का पर्व विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस दिन बाबा श्याम स्वयं भक्तों के सभी कष्ट हरते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। मंदिर प्रशासन ने भक्तों से अपील की है कि वे श्रद्धा के साथ नियमों का पालन करते हुए दर्शन करें और व्यवस्था में सहयोग दें।

 


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