Grahan 2025 : अगले साल कब और कितने लगेंगे सूर्य-चंद्र ग्रहण? भारत में दिखेंगे या नहीं, सूतककाल मान्य होगा या नहीं? जानें डिटेल्स

नए साल 2025 में भी दो सूर्य और दो चंद्र ग्रहण लगने वाले है। खास बात ये है कि अगले साल भी पितृपक्ष में चंद्र ग्रहण लगेगा।क्या वे भारत में दिखाई देंगे, क्या सूतककाल मान्य होगा, 2026 में कब-कब ग्रहण लगेगा?आईए विस्तार से जानते है ग्रहण के बारें में इन सभी सवालों के जवाब…………

Chandra surya Grahan

Surya /Chandra Grahan 2024: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों नक्षत्रों की तरह ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है , जब भी कोई ग्रहण लगता है तो उस घटना को खगोलीय घटनाओं में एक माना जाता है। साल 2024 की तरह 2025 में दो चंद्र ग्रहण लगेंगे, इसके साथ ही अगले साल दुर्लभ फुल ब्लड मून दिखेगा। यह 14 मार्च फाल्गुन मास की पूर्णिमा को लगेगा।खास बात ये है कि इस दिन होलिका दहन है, हांलाकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा।

इसके बाद साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को पितृपक्ष में ही लगेगा। इसका भी असर भारत पर नहीं होगा। वही साल 2025 में पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च और दूसरा 21 सितंबर को लगेगा । ये दोनों आंशिक सूर्य ग्रहण होंगे, ऐसे में ये दोनों भी भारत में नहीं दिखाई देंगे।

अगले साल लगने वाले सूर्य/चन्द्र ग्रहण की तारीख

  • 29 मार्च 2025: यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यूरोप, एशिया के कुछ हिस्से, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर में दिखेगा।यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसलिए इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा।
  • 21 सितंबर 2025: यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर में दिखेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा । भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह ग्रहण रात 11 बजे शुरू होगा और सुबह 4 बजे तक चलेगा।
  • 14 मार्च 2025: अगले साल पूर्ण चंद्रग्रहण या ब्लड मून को लगेगा। यह ग्रहण अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में नजर आएगा। उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी तट पर इसे सुबह के समय देखा जा सकता है।
  • 7 सितंबर 2025 : दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगेगा। ये चंद्र ग्रहण भी इस साल की ही तरह पितृपक्ष में ही लगेगा। इसका भी असर भारत पर नहीं होगा। क्योंकि ये चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।
  • 17 फरवरी 2026: यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जो अंटार्कटिका में दिखेगा। इसके अलावा आंशिक ग्रहण अंटार्कटिका के अन्य हिस्से, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर में दिखाई देगा।
  • 12 अगस्त 2026: यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा जो ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन, रूस और पुर्तगाल के एक छोटे हिस्से में दिखेगा। आंशिक सूर्य ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर और प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा।

कब लगता है सूर्य/चन्द्र ग्रहण?

  • ज्योतिष के मुताबिक, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है, तो सूर्य ग्रहण लगता है।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है। इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है।पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।
  • आंशिक सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक लाइन में सीधे नहीं होते। इस कारण चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है। वही अन्य सूर्य ग्रहण में लोकेशन के कारण भी आंशिक सूर्य ग्रहण दिखता है।
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर हो। तब यह पूरी तरह सूर्य को ढक नहीं पाता, जिस कारण हमें सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में एक ‘आग की रिंग’ दिखती है।
  • हाइब्रिड सूर्य ग्रहण को वलयाकार-पूर्ण ग्रहण कहा जाता है। इसमें यह सूर्य को पूरी तरह ढंकता है, लेकिन कुछ हिस्सा खुला रह जाता है।

(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)


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Pooja Khodani

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