आखिर मंदिर में क्यों लगाया जाता है पर्दा? जानें इससे जुड़े नियम और रोचक बातें

Bhawna Choubey
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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। हर घर में भगवान का मंदिर जरूर पाया जाता है। मंदिर को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मंदिर को लेकर कई नियम बताए गए हैं। जिनके बारे में सभी को जानना बहुत जरूरी है। आपने अक्सर देखा होगा कि घर का पूजा घर हो या फिर मंदिर हो पूजा पाठ के बाद एक समय पर मंदिर में परदा लगाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर में आखिर पर्दा क्यों लगाया जाता है, इसका क्या महत्व है और इसके पीछे का क्या कारण है। अगर नहीं तो आज हम आपको इस लेख के द्वारा विस्तार में बताएंगे कि आखिर मंदिर में पर्दा लगाने के पीछे का क्या कारण है, तो चलिए जानते हैं।

मंदिर में पर्दा क्यों लगाया जाता है

शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रात्रि का समय भगवान के विश्राम का समय होता है। इसलिए परदा लगाया जाता है, ताकि भगवान अच्छे से विश्राम कर सकें। भगवान को रात में सोने में कोई बाधा ना आए इसलिए मंदिर की मूर्तियों को ढक दिया जाता है और मंदिर में पर्दा लगा दिया जाता है। इसके अलावा रात में पर्दा लगाने के बाद मंदिर में किसी भी प्रकार का कोई शोर-शराबा नहीं होता है, मंदिर की तेज रोशनी वाली लाइट को भी बंद कर दिया जाता है।

कब खोला जाता है मंदिर का पर्दा

मंदिर का पर्दा रात भर लगा रहता है। फिर इसे सुबह खोला जाता है। ज्योतिष शास्त्र में पर्दे को खोलने के भी कई नियम बताए गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान का पर्दा हमेशा स्नान के बाद ही खोलना चाहिए। स्नान करने के बाद शरीर शुद्ध हो जाता है, मंदिर एक पवित्र स्थान है, इसलिए मंदिर से जुड़ा हर काम स्नान के बाद ही करना चाहिए। मंदिर का पर्दा खोलने के बाद मंदिर की साफ सफाई करनी चाहिए। फिर भगवान को स्नान और श्रृंगार करवा कर पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

मंदिर का पर्दा किस रंग का होना चाहिए

मंदिर के पर्दे का रंग हल्का होना चाहिए। जैसे हल्का पीला हल्का गुलाबी या फिर हल्का नीला। ज्यादा गहरे रंग का पर्दा मंदिर में कभी नहीं लगाना चाहिए। बैंगनी रंग, गहरा नीला और काला ऐसे रंगो से हमेशा बचना चाहिए।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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