हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। हर घर में भगवान का मंदिर जरूर पाया जाता है। मंदिर को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मंदिर को लेकर कई नियम बताए गए हैं। जिनके बारे में सभी को जानना बहुत जरूरी है। आपने अक्सर देखा होगा कि घर का पूजा घर हो या फिर मंदिर हो पूजा पाठ के बाद एक समय पर मंदिर में परदा लगाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर में आखिर पर्दा क्यों लगाया जाता है, इसका क्या महत्व है और इसके पीछे का क्या कारण है। अगर नहीं तो आज हम आपको इस लेख के द्वारा विस्तार में बताएंगे कि आखिर मंदिर में पर्दा लगाने के पीछे का क्या कारण है, तो चलिए जानते हैं।
मंदिर में पर्दा क्यों लगाया जाता है
शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रात्रि का समय भगवान के विश्राम का समय होता है। इसलिए परदा लगाया जाता है, ताकि भगवान अच्छे से विश्राम कर सकें। भगवान को रात में सोने में कोई बाधा ना आए इसलिए मंदिर की मूर्तियों को ढक दिया जाता है और मंदिर में पर्दा लगा दिया जाता है। इसके अलावा रात में पर्दा लगाने के बाद मंदिर में किसी भी प्रकार का कोई शोर-शराबा नहीं होता है, मंदिर की तेज रोशनी वाली लाइट को भी बंद कर दिया जाता है।
कब खोला जाता है मंदिर का पर्दा
मंदिर का पर्दा रात भर लगा रहता है। फिर इसे सुबह खोला जाता है। ज्योतिष शास्त्र में पर्दे को खोलने के भी कई नियम बताए गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान का पर्दा हमेशा स्नान के बाद ही खोलना चाहिए। स्नान करने के बाद शरीर शुद्ध हो जाता है, मंदिर एक पवित्र स्थान है, इसलिए मंदिर से जुड़ा हर काम स्नान के बाद ही करना चाहिए। मंदिर का पर्दा खोलने के बाद मंदिर की साफ सफाई करनी चाहिए। फिर भगवान को स्नान और श्रृंगार करवा कर पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
मंदिर का पर्दा किस रंग का होना चाहिए
मंदिर के पर्दे का रंग हल्का होना चाहिए। जैसे हल्का पीला हल्का गुलाबी या फिर हल्का नीला। ज्यादा गहरे रंग का पर्दा मंदिर में कभी नहीं लगाना चाहिए। बैंगनी रंग, गहरा नीला और काला ऐसे रंगो से हमेशा बचना चाहिए।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)