Guru Gochar 2024-25 : ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों में से देवगुरु बृहस्पति की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है।गुरू एक राशि से दूसरे राशि में जाने के लिए 13 महीने का समय लेते है। गुरु को सुख-समृद्धि, धन-वैभव, मान-सम्मान का कारक माना जाता है। जब भी गुरू चाल बदलते है तो 12 राशियों पर प्रभाव देखने को मिलता है।वर्तमान में गुरु वृषभ राशि में विराजमान है और मई 2025 तक यही रहेंगे। गुरू के वृषभ में गोचर से कुबेर राजयोग का निर्माण हुआ है, जिससे 3 राशियों की किस्मत चमक सकती है। आईए जानते है कौन सी है वो लकी राशियां
मेष राशि : गुरू के गोचर से बना कुबेर योग बेहद लकी साबित हो सकता है।आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। नौकरीपेशा को वेतनवृद्धि और प्रमोशन का लाभ मिल सकता है। मई 2025 तक गुरू का आर्शीवाद मिलेग। विवाहितों का वैवाहिक जीवन सुखी और शांतिपूर्ण रहेगा। करियर में तरक्की मिलेगी। आकस्मिक धनलाभ हो सकता है। मार्केटिंग, बैंकिंग, मीडिया से जुड़े लोगों को अच्छा लाभ मिल सकता है।भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। समाज में मान-सम्मान की वृद्धि होगी। व्यापार में धनलाभ हो सकता है, लंबे समय से रुका प्रोजेक्ट इस अवधि में पूरा हो सकता है। परिवार में किसी से कोई शुभ समाचार मिल सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में भी खूब कामयाब होंगे।
सिंह राशि : कुबेर योग का बनना जातकों को अनुकूल सिद्ध हो सकता है। किस्मत का साथ मिलेगा। कोई धार्मिक या मांगलिक कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। देश- विदेश की यात्रा पर जा सकते हैं। व्यापारी में बड़ी डील मिल सकती है।व्यापार का विस्तार कर सकते है। कार्यों में सफलता मिलेगी। जातकों को करियर में सफलता मिल सकती है। धनलाभ के प्रबल योग बनेंगे।नौकरीपेशा को प्रमोशन और वेतन वृद्धि का लाभ मिल सकता है।
कर्क राशि : कुबेर राजयोग का बनना जातकों को शुभ सिद्ध हो सकता है। आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हो सकती है।आय के नए स्त्रोत बन सकते हैं। विदेशों में निवेश से लाभ मिल सकता है। करियर में भी बदलाव देखने को मिलेगा। पेशेवर जीवन में उन्नति होगी। कारोबारी लोग कोई बड़ी व्यवसायिक डील कर सकते हैं। शेयर बाजार, सट्टा और लॉटरी से लाभ हो सकता है।लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का अंत होगा। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं तो सफलता मिल सकता है। विदेश में पढ़ाई करने का सपना पूरा हो सकता है।संतान पक्ष की तरफ से कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है।
कुंडली में कैसे बनता है कुबेर योग
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी जातक की कुंडली में कुबेर योग का तब बनता है जब कुंडली के दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी अपनी खुद की राशि या फिर उच्च राशि में विराजमान हो । दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी की बीच राशि परिवर्तन या फिर युति बने तो भी कुबेर योग बनता है।इस राजयोग से पराक्रम, मेहतन और भाग्य के बल पर अपार धनलाभ मिलता है। भौतिक सुख-साधनों में कोई कमी नहीं होती। व्यापार में तरक्की करते है और राजाओं की तरह लग्जरी लाइफ जीते है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)