Ruby: हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख, समृद्धि, तरक्की और धन की प्राप्ति करना चाहता है। हालांकि, हमारी कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्र की स्थिति जैसी होती है। हमें परिणाम भी वैसे ही प्राप्त होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बहुत मेहनत करने के बावजूद भी हमें उचित परिणाम प्राप्त नहीं होता क्योंकि कुंडली में मौजूद ग्रह हमें वह परिणाम देना नहीं चाहते।
जब हम परेशानियों का समाधान ढूंढने के लिए ज्योतिष का सहारा लेते हैं। तब हमें पता चलता है कि हमारी कुंडली में कोई ना कोई दोष है, जो हमें आगे बढ़ने से रोक रहा है। पितृ दोष भी एक ऐसी ही चीज है, जिसका संबंध हमारे पूर्वजों से बताया जाता है। पूर्वजों की अशुभता या उनके आशीर्वाद में कमी होने की वजह से हम इस दोष का सामना करते हैं।
क्या है पितृ दोष
कुंडली में पितृ दोष की बात करें तो सूर्य, राहु और केतु की अशुभ स्थिति को पितृ दोष के रूप में माना जाता है। अगर इन तीनों ग्रहों की स्थिति मजबूत नहीं रहती या ये अशुभ परिणाम देते हैं, तो व्यक्ति अपने जीवन में कई तरह की बधाएं, आर्थिक संकट, मानसिक तनाव और संतान की समस्या का सामना करता है। हालांकि, ज्योतिष में हर समस्या का समाधान है और पितृ दोष दूर करने के रत्न के बारे में भी जिक्र दिया गया है। चलिए आज हम आपको ऐसे ही रत्न की जानकारी देते हैं।
रूबी (Ruby)
रूबी एक बहुत ही खूबसूरत और चमत्कारी रत्न है, जिसे हम आम भाषा में माणिक्य के नाम से पहचानते हैं। अगर इसे धारण कर लिया जाए तो पितृ दोष के प्रभाव को काम किया जा सकता है। चलिए जान लेते हैं कि इससे क्या लाभ होते हैं और इसे कब पहनना चाहिए।
होंगे ये लाभ
जो व्यक्ति माणिक्य की धारण करता है उसकी कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। सूर्य मजबूत होता है तो पितृ दोष समाप्त होने लगता है और व्यक्ति को पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। पितृ दोष की शांति के लिए इसे पहनना बहुत ही शुभ माना गया है।
कब पहनें
कुंडली में सूर्य राहु और केतु के युति बन रही हो तब माणिक्य धारण करना शुभ माना गया है। इसे सूर्य द्वादश, अष्टम या छठे भाव में हो तब भी पहना जा सकता है। कुंडली में सूर्य की स्थिति नीचे की हो तब पितृ ऋण और पितृ दोष का संकेत मिलता है।
कैसे पहनें
- माणिक्य धारण करने के लिए इसे सोने या फिर तांबे की अंगूठी में जड़वाना चाहिए।
- इसे रविवार के दिन अनामिका उंगली में धारण करना शुभ माना गया है।
- सूर्योदय के समय से पहनने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
- माणिक्य धारण करने से पहले इसे गंगाजल, दूध और शहद से शुद्ध करें और सूर्य मंत्र का जाप करते हुए धारण कर लें।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।