Vipreet Rajyog 2024: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हर ग्रह एक निश्चित समय अंतराल के बाद राशि परिवर्तित करता है और इस दौरान एक राशि में दो या दो से अधिक ग्रहों के आने से शुभ योग या राजयोग का निर्माण करता है जिसका प्रभाव मानव जीवन, 12 राशियों और पृथ्वी पर पड़ता है। वर्तमान में देवताओं के गुरु बृहस्पति और ग्रहों के राजा सूर्य वृषभ राशि में विराजमान है, वही धन, संपत्ति, ऐश्वर्या, यश, सौंदर्य के कारक शुक्र भी अस्त अवस्था में मौजूद है। इसके चलते विपरीत राजयोग का निर्माण हुआ है , जो 4 राशियों के लिए वरदान से कम साबित नहीं होगा, आइए जानते हैं ये 4 राशियां कौन सी हैं…..
इन राशियों के लिए लकी साबित होगा विपरित राजयोग
तुला राशि : विपरीत राजयोग जातकों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। संतान की ओर से कोई अच्छी खबर मिल सकती है> रिसर्च कर रहे जातकों को सफलता हासिल मिल सकती है। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। समय- समय पर आकस्मिक धनलाभ होगा। भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है। आय में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिलेगी। कार्यों में किस्मत का साथ मिलेगा।छात्रों के लिए भी समय उत्तम रहेगा।
कर्क राशि : विपरीत राजयोग जातकों के लिए फलदायी साबित हो सकता है। आय में वृद्धि होगी और नए नए स्त्रोत बनेंगे। नौकरीपेशा जातकों को इस अवधि में कोई बड़ी सफलता मिल सकती है।संतान से जुड़ा कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है । लंबे समय से रुके और अटके काम पूरे होंगे । विदेश यात्रा पर जाने का मौका मिल सकता है। परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा।
मीन राशि : मीन राशि वाले लोगों के लिए विपरीत राजयोग किसी वरदान से कम नहीं साबित हो सकता है। सूर्य और गुरु बृहस्पति का आशीर्वाद मिलेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। रुके और अटके हुए कार्य पूरे होंगे। भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। लंबे समय से रुके और अटके काम पूरे होंगे। परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा। शेयर मार्केट, सट्टा बाजार आदि के द्वारा काफी धन कमा सकते हैं। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।
धनु राशि : विपरित राजयोग जातकों के लिए अनुकूल सिद्ध हो सकता है।आकस्मिक धन की प्राप्ति हो सकती है। शेयर बाजार, सट्टा और लॉटरी में लाभ हो सकता है। अटका और फंसा हुआ धन वापस मिल सकता है। नौकरीपेशा लोगों की पदोन्नति हो सकती है। निवेश से दोगुना लाभ मिलेगा। वाहन या कोई प्रापर्टी खरीद सकते हैं।
कुंडली में कब बनता है विपरित राजयोग
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विपरीत राजयोग का निर्माण होने से व्यक्ति को धन लाभ के साथ वाहन, संपत्ति का सुख प्राप्त होता है। जब कुंडली के छठे, आठवें, बारहवें, भाव के स्वामी युति संबंध बनाते हैं, तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है। इस योग में त्रिक भावों और उनके स्वामियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वैसे त्रिक भावों को ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता लेकिन कुछ विशेष परिस्थियों के कारण यह शुभ फल देने लगते हैं, वहीं मुख्यत: त्रिक भावों में से किसी भाव का स्वामी किसी अन्य त्रिक भाव में विराजमान हो तो इस योग का निर्माण होता है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)