Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के एक प्रमुख विचारक, राजनीतिक दार्शनिक और विद्वान थे। वे विशेष रूप से भारतीय सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के राजनीतिक सलाहकार थे। चाणक्य को कौटिल्य, विष्णुगुप्त के नामों से भी जाना जाता है। उनका योगदान मौर्य वंश की स्थापना में महत्वपूर्ण रहा है। चंद्रगुप्त मौर्य के साथ मिलकर उन्होंने भारतीय इतिहास के एक शक्तिशाली साम्राज्य की नींव रखी थी। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचनाएं ‘अर्थशास्त्र’, ‘नीतिशास्त्र’ और ‘कौटिलीय अर्थशास्त्र’ के रूप में लिखीं जो आज भी राजनीति, योजना निर्माण और व्यवसायिक नीतियों में महत्वपूर्ण हैं। तो चलिए आज हम आपको उनके अध्याय के बारे में बताते हैं, जिसमें नया बिजनेस शुरू करने के बारे में बताया गया है। जानें विस्तार से…
सोच में स्थिरता
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कई सिद्धांतों की चर्चा की, जिनमें से एक है “सोच स्थिर और सकारात्मक होनी चाहिए”। उनका यह तत्व नए कार्य आरंभ करने से पहले योजना बनाने और मनोबल को सुनिश्चित करने का होता है। चाणक्य का मानना था कि एक व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने लक्ष्य को साबित करने के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए। इसके लिए उसकी सोच को स्थिर और सकारात्मक रखना महत्वपूर्ण है। उसे आने वाली चुनौतियों और संघर्षों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
योजना करें तैयार
आचार्य चाणक्य के अनुसरा, किसी भी कार्य को शुरु करने से पहले समय, स्थान और सहायक तत्वों की योजना बना लेना चाहिए, जिससे आपको आपके कार्य में सफलता मिलेगी। बता दें कि किसी कार्य को शुरु करने से पहले समय का सही उपयोग करें। किसी भी कार्य को सही समय पर करना ही सफलता का कुंजी है। इसके अलावा, सही स्थान का चयन करें।
जल्दबाजी में ना करें फैसला
जिस कार्य को आप शुरू करने जा रहे हैं तो आप पहले उसपर सही से सोच-विचार कर लें कि इस काम के लिए सक्षम हैं भी या नहीं। इसके लिए आपको शांत दिमाग की जरूरत होगी, जहां आप हर तरीके से सोच पाने में समर्थ होंगे। यदि आपको सोचने के लिए अधिक समय भी लगे तो बेशक ले लिजिए लेकिन जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं लेना चाहिए। ऐसे लोगों को ही चाणक्य नीति में समझदार इंसान माना गया है।
वाणी पर नियंत्रण
आचार्य चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए, ताकि उन्हें व्यापार में किसी प्रकार की कोई समस्या ना आए। बता दें कि व्यापारिक या सामाजिक संदर्भों में तीखा और कड़वा भाषा का प्रयोग नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और सामंजस्य को बिगाड़ सकता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी वाणी से तीखे शब्दों का इस्तेमाल करता है, तो यह उसके व्यापार, संबंध और सामाजिक स्थान को प्रभावित कर सकता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)