सच्ची सफलता वह जो लक्ष्य प्राप्ति के साथ जीवन में खुशी भी लाए: बीके. डॉ. रीना

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भोपाल । जीवन में हर ब्यक्ति सफल होना चाहता है परन्तु आजकल देखा गया है कि सफलता के लिए ब्यक्ति कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार हो जाता है । कई बार सफलता की आश में उठाये गए ये कदम भयानक भी सिद्ध होते हैं । सच्ची सफलता वह है जो हमारे लक्ष्य प्राप्ति में सहायक हो साथ ही वह हमें एवं ओरों को खुशी भी दिलाये । उक्त विचार ब्रह्माकुमारीज गुलमोहर सेवाकेंद्र प्रभारी बी के डॉ रीना बहन ने ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित सुखी जीवन, स्वस्थ समाज हेतु विषय पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश शासन राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अखिलेश अर्गल ने कहा कि जीवन में धन कमाना या किसी भी तरह से लक्ष्य कि प्राप्ति करना यह सफलता नहीं है। डिक्शनरी में सफलता की जिंतनी भी परिभाषायें हैं उनमे कही भी आनंद या खुशी शामिल नहीं है। भ्रान्ति है कि सफलता के इर्द गिर्द खुशी घूमती है रिसर्च  में देखा गया कि लोगों के नजरिये में जो सफल है वह भी खुश नहीं है रिसर्च कहती है कि खुश ब्यक्ति ज्यादा प्रोडक्टिव  होता है । दूसरी भ्रान्ति है कि हम इस संसार में एक फिक्स कैपसिटी के साथ आये हैं परन्तु रेसेअर्च कहता है कि हम विचारों से मस्तिस्क की संरचना को बादल सकते हैं ।जीवन में 40 प्रतिशत खुशी मन की आंतरिक स्थिति पर निर्भर करती है एवं मन की आंतरिक स्थिति पर हमारा नियंत्रण है । आज बहुत साते संस्थान इसी 40 प्रतिशत आनद की कुंजी के सहारे जीवन में आनद भरने का प्रयास करते हैं । आजकल डिप्रेशन कम आये में भी होने लगा है कई बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार होने लगे हैं । किसी ने कहा है कि अगर विश्व की प्रतिशत जनसंख्या अपने विचारों में परिवर्तन लती है तो इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व में पड सकता है । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी गोविन्द गोयल  ने कहा कि आज तनाव का स्तर बहुत बढ़ गया है बच्चो को एक दुसरे से कम नंबर मिलते हैं तो उन्हें भी टेंशन हो जाती है। जीवन में किसी भी कार्य में कन्फूजन की स्थिति नहीं होना चाहिए कन्फूजन में रहेंगे तो आगे नहीं बढ़ेंगे । कन्फूजन ही चिंता का विषय है । जीवन में अनुशासन लाने से ही तनाव दूर होगा ।

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