Tue, Dec 23, 2025

देवशयनी एकादशी कल, बन रहें शुभ संयोग, प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु, ऐसे करें पूजा, भूलकर भी न करें ये गलतियाँ

Published:
Last Updated:
देवशयनी एकादशी कल, बन रहें शुभ संयोग, प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु, ऐसे करें पूजा, भूलकर भी न करें ये गलतियाँ

Devshayani Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में सभी एकादशी व्रत का बेहद ही खास महत्व होता है। जिनमें से एक देवशयनी एकादशी है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष पर पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने से सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं। साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। सिद्धि की प्राप्ति होती है। 29 जून 2023 को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु का शयन काल आरंभ हो जाता है। चतुर्मास की शुरुआत के कारण विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।

शुभ मुहूर्त और संयोग

एकादशी तिथि का आरंभ 29 जून सुबह 3:18 बजे हो रहा है। वहीं समापन 30 जून सुबह 2:42 बजे होगा। इस बार सिद्ध और साध्य योग बन रहे हैं, जो देशयनी एकादशी के महत्व को बढ़ा रहा है। 30 जून  दोपहर 1:48 से लेकर शाम 4:36 तक पारण का शुभ मुहूर्त है।

न करें ये काम

  • देवशयनी एकादशी पर कुछ कार्यों को करना मना होता है। इस दिन तुलसी पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। मान्यताएं हैं कि देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी माता भी निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही इस दिन तुलसी दल को भी नहीं तोड़ना चाहिए।
  • देवशयनी एकादशी पर चावल का दान करना वर्जित माना जाता है। साथ ही चावल का सेवन करना भी अशुभ होता है। कहते हैं कि ऐसा करने वाले व्यक्ति अगले जन्म में कीड़े-मकोड़े की योनि में जन्म लेते हैं।
  • यदि आप एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो दशमी तिथि से लेकर द्वादशी तिथि तक ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • इस ओड़ दातुन करना आपको पाप का भागी बना सकता है।
  • व्रत के दौरान मन में बुरे विचार ना लाएं, अशब्द ना बोले और अपने मन को शुद्ध रखें।

ऐसे करें पूजा

  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा का संकल्प लें।
  • शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
  • घी का दीपक जलाएं और देव प्रतिमाओं को तिलक करें।
  • माता लक्ष्मी को लाल वस्त्र और भगवान विष्णु को पीले वस्त्र चढ़ाएं।
  • अब चावल, गुलाल, अबीर, फूल रोली आदि चीजें एक-एक कर भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  • भोग लगाकर आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
  • देवशयनी एकादशी की कथा अवश्य सुनें।
  • शाम को भजन कीर्तन करना शुभ माना जाता है।
  • जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उसके बाद ही व्रत का पारण करें।

(Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। MP Breaking News इन बातों की पुष्टि नहीं करता।)