Bhavishya Puran: तिथि अनुसार करें भोजन, होंगे कई सारे फायदे, जानें भविष्य पुराण के नियम

भविष्य पुराण एक बहुत ही प्राचीन धार्मिक ग्रंथ है। इस ग्रंथ में व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं। चलिए आज हम आपको भोजन से जुड़े नियमों की जानकारी देते हैं।

Diksha Bhanupriy
Published on -
Bhavishya Puran

Bhavishya Puran: हिंदू धर्म में पुराणों और शास्त्रों को महत्वपूर्ण माना गया है। पुराणों में कई ऐसी चीजों का उल्लेख किया गया है। जिनका अगर अच्छी तरह से पालन कर लिया जाए तो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। शास्त्रों में व्यक्ति के जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान भी दिया गया है। केवल जरूरत है इन शास्त्रों को अपनाने की और उनके अंदर दिए गए नियमों और उपायों को अमल में लाने की।

धर्म शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख दिया गया है कि व्यक्ति जैसे कर्म करता है उसे उसी तरह का फल मिलता है। पिछले जन्म में किए गए कर्म जहां हमारे इस जीवन को रूप देने का काम करते हैं तो फिलहाल हम जो कम कर रहे हैं उसी की बदौलत हमें आने वाले वक्त में फल मिलेंगे। आज हम आपके भविष्य पुराण में बताए गए कुछ ऐसे उपाय बताते हैं जिस व्यक्ति को यमराज की छत्रछाया प्राप्त होती है और इससे न सिर्फ उसे बल्कि आने वाली पीढियां को भी फायदा होता है। चलिए आज हम आपको भोजन से जुड़े कुछ नियमों की जानकारी देते हैं।

तिथि के मुताबिक भोजन

भविष्य पुराण में दी गई जानकारी के मुताबिक तिथि के अनुसार भोजन और व्रत करने से व्यक्ति को शारीरिक लाभ तो होता ही है। इसके अलावा वह धार्मिक लाभ भी प्राप्त करता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं की तिथि के मुताबिक व्यक्ति को किस चीज का सेवन करना चाहिए।

एकम

एकम यानी प्रतिपदा को व्यक्ति को दूध का सेवन करना चाहिए।

द्वितीया

द्वितीय यानी दूज के दिन बिना नमक का भोजन करना अच्छा माना गया है।

तृतीया

तृतीया के दिन व्यक्ति को अन्य और तिल का भोजन करना चाहिए इससे उसे काफी लाभ होता है।

अन्य तिथियों का भोजन

चतुर्थी के दिन दूध, पंचमी के दिन फल, छठ के दिन शाक, सप्तमी के दिन बिल्व आहार, अष्टमी को पिष्ट, नवमी को अग्निपाक, दशमी और ग्यारस को घी, द्वादशी यानी कि बारस को खीर और त्रयोदशी को हरा मूंग खाना चाहिए चतुर्दशी को यवान्न, पूर्णिमा को कुश का जल और अमावस्या को हविष्य भोजन लाभकारी माना गया है।

भोजन के नियम

तिथि के मुताबिक भोजन के जो प्रकार बताए गए हैं। अगर आप इस भोजन पद्धति को अपनाना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत माघ मास की सप्तमी अश्विनी मास की नवमी, कार्तिक मास की पूर्णिमा या फिर वैशाख तृतीया से की जा सकती है।

होंगे ये लाभ

भविष्य पुराण में दी गई जानकारी के मुताबिक व्यक्ति अगर इस विधि को अपनाता है तो उसे अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है। केवल 15 दिन इस विधि को अपनाकर व्यक्ति 1000 अश्वमेध यज्ञ का फल 8 महीनों तक प्राप्त कर सकता है। इस विधि को अपनाने से व्यक्ति को सूर्य लोक और स्वर्ग लोक का सुख भोगने को मिलता है।


About Author
Diksha Bhanupriy

Diksha Bhanupriy

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

Other Latest News