Gita Updesh : सनातन धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है जोकि भगवान श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच हुए संवाद का विस्तृत वर्णन है। बता दें कि कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत की लड़ाई दो परिवारों के बीच लड़ी गई थी। यह धर्म और अधर्म की लड़ाई थी, जिसमें दोनों तरफ ही परिवार के लोग, मित्र और गुरु शामिल थे, जो एक-दूसरे के खिलाफ शस्त्र उठाने के लिए बिल्कुल तैयार थे। यह देखकर अर्जुन काफी दुखी हो गए। वह चाहते थे कि युद्ध ना हो। उनकी इस दुविधा को खत्म करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। इस दौरान उन्होंने बताया कि जीवन का रहस्य यह है कि इंसान को बिना फलों की चिंता किए बगैर अपने कार्य निरंतर करते रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने विश्व रूप प्रकट कर उन्हें यह बोध कराया कि धर्म के लिए शस्त्र उठाना बिल्कुल भी गलत नहीं है। इस बात को जानने और समझने के बाद युद्ध प्रारंभ हुआ और करीब 18 दिन चलने के बाद पांडवों को कौरवों पर जीत हासिल हुई। इसमें दोनों ही पक्ष के बहुत से महावीर योद्धा मारे गए। अंत में अखंड भारत का निर्माण हुआ। बता दें कि इस ग्रंथ में मोक्ष प्राप्ति के मार्ग बताए हैं, जिन्हें अपनाने वाला हर एक व्यक्ति ने अच्छा और नेक इंसान बनता है। इस ग्रंथ को 18 अध्याय और 700 श्लोकों में विभाजित किया गया है, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था लेकिन अब इसका बहुत सी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको गीता में बताए गए कुछ उपदेश देंगे, जो आपके जीवन को बदल सकता है और तरक्की की राहों में आपको आगे ले जा सकता है। आइए जानते हैं विस्तार से…
क्रोध पर करें नियंत्रण
- गीता में श्रीकृष्ण ने क्रोध को व्यक्ति के विनाश का कारण बताया है, जो उसे गलत काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है। यह दुर्बलता का प्रतीक है। यह इंसान को अकेलापन, असहयोग और अन्याय की ओर ले जाता है। जिस कारण उसकी तरक्की भी रुक जाती है।
- बता दें कि क्रोध एक ऐसा भाव है जिसमें व्यक्ति अक्सर अपने नियंत्रण को खो देता है और आवेश में आकर गलत काम कर बैठता है। इसलिए हमें क्रोध को नियंत्रित करना सीखना चाहिए। अक्सर गुस्से में व्यक्ति स्वयं का अहित कर जाता है, चाहे वह स्वास्थ्य, संबंध, कर्म के प्रति हो, नुकसान तो उसके स्वयं का होता है। वहीं, जब गुस्सा शांत हो जाता है तो बाद में पछतावा भी हो सकता है। इसलिए अपने गुस्से को नियंत्रित करना चाहिए।
- हालांकि, मानव जीवन में कई कारण होते हैं जो उसके पतन का कारण बनते हैं, जैसे कि अहंकार, लालच, कपट, आदि। इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने गीता में क्रोध को नियंत्रित करने का संदेश दिया हैं, ताकि हर परिस्थिति में आप खुद का पतन होने से बचा सके।
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