Gita Updesh : श्रीमद्भागवद्गीता हिंदू धर्मशास्त्र के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। जिसे रोजाना पढ़ने से मनुष्य को उनके सारे सवालों के जवाब मिल जाते हैं। बता दें कि यह ग्रंथ युद्ध शुरू होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुई संवाद का वर्णन है। जिसमें भगवान ने अर्जुन को जीवन के उद्देश्य, कर्म, भक्ति और ज्ञान के विषय में उपदेश दिया है। इसमें बताए गए उपदेश आज भी लोगों के काम आता है। इसी कड़ी में आज के आर्टिकल में हम आपको मनुष्य द्वारा इन चीजों की इच्छाओं के बारे में बताएंगे, जिनका लोभ त्याग देना चाहिए। अन्यथा, इससे आपको भविष्य में नुकसान हो सकता है।
इन चीजों का नहीं करना चाहिए लोभ
- गीता उपदेश के अनुसार, इंसान को कभी भी दूसरे की निंदा नहीं करनी चाहिए। इससे वह खुद का नुकसान करता है, जिसका पता खुद को नहीं चल पाता। दरअसल, निंदा करने से मनुष्य की बर्बादी शुरू हो जाती है। इसके साथ ही वह दूसरों के सामने बुरा भी साबित हो जाता है। जिस कारण वह किसी भी रिश्ते में प्यार, विश्वास और भरोसा नहीं कायम कर पाता।
- गीता उपदेश के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी पराया धन को अपना नहीं समझना चाहिए कलयुग में या देखा जाता है कि अधिकतर लोग छल कपट से दूसरे की संपत्ति हड़प लेते हैं, तो उन्हें उससे कई गुना अधिक चुकाना भी पड़ता है। यह उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा या फिर किसी अन्य तरीके से चुकाना पड़ेगा। इसलिए आप जितना कमाते हैं, उतने में ही संतुष्ट रहना सीखिए। इससे आपको कभी भी धन की हानि नहीं होगी।
- श्री कृष्ण कहते हैं कि दान करना बहुत ही पुण्य का काम है, लेकिन यह आप तभी करें जब यह आपकी खुद के मेहनत की हो और आपकी इच्छा हो देने की। अन्यथा, दूसरे के द्वारा मांग कर किया गया दान व्यर्थ हो जाता है। जिसका आपको एक प्रतिशत फल भी नहीं मिलेगा। इसलिए बेहतर है खुद की मेहनत से कमाएं गई चीजों का ही दान करें।
- श्री कृष्ण ने बताया है कि पराई औरत पर नजर डालना महापाप होता है। इसलिए अपने मन पर काबू रखने का प्रयास करें, ताकि आपके दिमाग में ऐसी कोई भावना दूसरी औरत के प्रति ना जागृत हो, जिससे आपके परिवार का कर शर्म से झुके। वहीं, औरत को भी पराए मर्द की ओर कभी नहीं देखना चाहिए, यह भी पाप की श्रेणी में ही आता है।
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