भोपाल, नागेश्वर सोनकेसरी। संकट के समय या जीवन में आप किसी भी बुरे दौर से गुजर रहें हों तो निराशा व नकारात्मकता तुरंत हावी होने लगती है। सुबह उठते ही आपके मन में पहला विचार ही इस तरह का होता है। संकट कोई चुनौती नहीं अपितु हमारे ही कर्मों का प्रारब्ध है। जिसे समय-समय पर कर्मानुसार हमें भुगतना पड़ता है। संकट में सहने, समझने, गुजरने के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं होता है, लेकिन फिर भी ईश्वर शरणागति व दृढ़ इच्छाशक्ति ही वह माध्यम है जिससे हम अपेक्षाकृत अधिक सुगमता से गुजर पाते हैं।
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कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हमारे पास प्रतिभा होती है व कार्यकुशलता भी तथा अच्छा अनुभव भी लेकिन समय अनुकूल नहीं होता है। ऐसी स्थिति में हमारी प्रतिभा बहुत प्रभावकारी नहीं हो पाती है। हम चाहे जितना भी प्रयास कर लें, लेकिन हमें सफलता नहीं मिलती और हम एक या दो प्रतिशत से ही चूक जाते हैं, और निराश भी होते हैं। लेकिन ऐसे समय पर भी हम स्वयं को सकारात्मक विचारों के संपर्क में रख सकें व नकारात्मक विचारों को अपने से दूर रखें तो हम देखेंगे कि भविष्य में हमें सफलता अवश्य मिलेगी।