इस खास मंदिर में होती है बिना सूंड वाले गणेश जी की पूजा, करें दर्शन और जानें खासियत

Unique Temple: 300 साल पुराने इस मंदिर की अनोखी प्रतिमा और यहां की मान्यताएं इसे खास बनाती हैं। भक्तजन मूषक के कान में अपनी मनोकामनाएं बताते हैं।

Bhawna Choubey
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Unique Temple: 7 दिसंबर से ही देश भर में बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जा रहा है। 10 दिनों तक चलने वाले त्योहार को लेकर भक्तजन बड़े ही उत्साहित नजर आते हैं। यह त्यौहार 17 सितंबर तक मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी के दसों दिन देशभर के गणेश मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिलती है।

इस दौरान मंदिर को रंग-बिरंगी लाइट और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। देशभर की गली-मोहल्ले में जगह-जगह भगवान गणेश के पंडाल और मेले लगाए जाते हैं, जिसमे भक्त बप्पा के दर्शन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की व्यंजन और मनोरंजन का भी लुप्त उठा सकते हैं। गणेश चतुर्थी के दौरान मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

अनोखा गणेश मंदिर

अगर आप इस बार गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर भगवान गणेश के अनोखे स्वरूप के दर्शन करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल बिल्कुल आपके लिए है। दरअसल, आज हम आपको भारत के ऐसे प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी अनूठी स्थापत्य कला और भगवान गणेश की अद्भुत प्रतिमा के लिए जाना जाता है, तो चलिए जानते हैं कि आखिर यह मंदिर कहां है और उसके क्या-क्या खासियत है।

300 साल पुराना गणेश मंदिर

जयपुर के नाहरगढ़ जिले के पास एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह गणेश मंदिर अपनी खूबसूरती और शांति पूर्ण वातावरण के लिए मशहूर है। इस मंदिर से पूरे जयपुर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है जो इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बनता है। पहाड़ी चोटी पर होने की वजह से इस मंदिर में पहुंचने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

माना जाता है कि यह मंदिर 300 साल पुराना है, इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा बाकी मंदिरों की प्रतिमा से थोड़ी अलग है दरअसल, इस मंदिर में बिना सूंड वाले गणेश जी के दर्शन किए जाते हैं। यह देश में एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है जहां बिना सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा विराजमान है।

मूषक के कान में इच्छा बताने से होती है मनोकामना पूर्ण

इस मंदिर को लेकर बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना महाराजा सवाई जयसिंह ने करवाई थी। सिटी पैलेस के चंद्र महल में मौजूद दूरबीन से भगवान गणेश की यह प्रतिमा बिल्कुल साफ दिखाई देती है।

ऐसा माना जाता है की रियासत काल में चंद्र महल से महाराज दूरबीन के सहारे भगवान के दर्शन किया करते थे। इस मंदिर में पाषाण के बने दो मूषक विस्थापित हैं। जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्तजन मूसा के कान में अपनी इच्छाएं बताते हैं वह पूरी हो जाती है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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Bhawna Choubey

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