Jagannath Mandir MahaPrasad : क्या आप जानते हैं जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद को क्यों कहा जाता है महाप्रसाद? यहां जानें इसके पीछे का रहस्य!

Jagannath Mandir MahaPrasad : जगन्नाथ मंदिर की रसोई को देश की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है, जहाँ हर दिन 50,000 से अधिक लोगों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है।

Rishabh Namdev
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Jagannath Mandir MahaPrasad : जगन्नाथ पुरी मंदिर, जो भारत के चार धामों में से एक है, अपनी धार्मिक मान्यता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। दरअसल यह मंदिर सिर्फ अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए ही नहीं, बल्कि यहाँ के प्रसाद जिसे महाप्रसाद कहा जाता है, के लिए भी विशेष स्थान रखता है। बता दें कि जगन्नाथ मंदिर की रसोई को देश की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है, जहाँ हर दिन 50,000 से अधिक लोगों के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है। तो चलिए आज इस खबर में जानते हैं, क्यों जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है और इसके पीछे की पौराणिक कथा और विशेषताएँ क्या हैं।

महाप्रसाद की पौराणिक कथा:

दरअसल पौराणिक कथाओं के अनुसार, ‘एक बार महाप्रभु वल्लभाचार्य एकादशी व्रत के दौरान जगन्नाथ मंदिर पहुंचे। भगवान जगन्नाथ ने उनकी निष्ठा की परीक्षा लेने का निर्णय लिया और उन्हें 56 प्रकार के व्यंजनों से बना भोग प्रसाद के रूप में दिया। वल्लभाचार्य ने प्रसाद तो ले लिया, लेकिन उसे द्वादशी स्तवन समाप्त होने के बाद ही ग्रहण किया। इसके बाद से ही यहाँ के प्रसाद को महाप्रसाद का गौरव प्राप्त हुआ है।’ बता दें कि यह भी कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ खुद रसोई में आते हैं जब प्रसाद तैयार होता है, इसलिए भी इसे महाप्रसाद कहा जाता है।

देश की सबसे बड़ी रसोई:

जानकारी के अनुसार जगन्नाथ मंदिर की रसोई भारत की सबसे बड़ी रसोई है। वहीं इसमें करीब 500 रसोइए और 300 सहायक प्रसाद बनाने का काम करते हैं। जबकि यहां हर दिन तकरीबन 50,000 से ज्यादा भक्तों के लिए महाप्रसाद तैयार होता है। इसके साथ ही भगवन जगन्नाथ की इस रसोई में चावल को मिलकर कुल 56 प्रकार के भोग बनाए जाते हैं। आपको बता दें कि प्रसाद को आधुनिक गैस या स्टील के बर्तनों में नहीं, बल्कि मिट्टी के चूल्हों और बर्तनों का उपयोग करके बनाया जाता है।

प्रसाद बनाने की विधि:

इसके साथ ही जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाने की विधि विशेष होती है। जानकारी के अनुसार मिट्टी के चूल्हों पर एक के ऊपर एक 7 मिट्टी के बर्तन रखकर इनमें सबसे ऊपर वाले बर्तन में रखा खाना और सब्जी पहले पकाई जाती है। वहीं इसे भगवान जगन्नाथ का चमत्कार माना जाता है, कि ‘इस रसोई में कभी भी खाना खत्म नहीं होता है।’ आपको बता दें कि प्रसाद बनने के बाद सबसे पहले भगवान जगन्नाथ, उनके भाई और बहन को विधि वत भोग लगाया जाता है और इसके बाद सभी भक्तों में इस महाप्रसाद को बांटा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर का महाप्रसाद अपने अद्वितीय महत्व और चमत्कारिक गुणों के कारण विशेष माना जाता है। यहाँ का प्रसाद न सिर्फ भोजन के रूप में, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी देखा जाता है। भक्तों का मानना है कि महाप्रसाद ग्रहण करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और यह भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद होता है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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