Lovers Temple : इस मंदिर में प्रेमियों को मिलती है पनाह, पुलिस या घरवाले भी नहीं कर सकते दखलअंदाज़ी

Shruty Kushwaha
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। मंदिर में लोग अपनी श्रद्धा, आस्था के कारण जाते हैं। बड़े बूढ़े, स्त्री पुरुष बच्चे सभी मंदिर जाते हैं। लोग ईश्वर से कई तरह की प्रार्थना करते हैं मनौती मांगते हैं। कई मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध होते हैं कि वहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां प्रेमी जोड़ों को पनाह मिलती हो।

आज हम आपको ऐसे ही अनोखे मंदिर के बारे में बचाने जा रहे हैं। ये मंदिर हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी के शांगढ़ गांव में है। शंगचूल महादेव मंदिर (Shangchul Mahadev Temple) जोकि शिव मंदिर है, इसे लवर्स टेंपल (lovers temple) के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की प्रसिद्धि इसलिए है क्योंकि यहां घर से भागे हुए प्रेमी जोड़ियों को शरण मिलती है। ये मंदिर खासतौर पर प्रेमियों के लिए हैं। कहा जाता है कि यहां आने वाले प्रेमियों पर भगवान शिव का आशीर्वाद होता है और उनकी मदद केवल शिवशंकर नहीं बल्कि गांव के सारे लोग करते हैं।

इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा है जिसके अनुसार पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां रूके थे। उनका पीछा करते हुए कौरव यहां तक पहुंच गए और तब शंगचुल महादेव ने कौरवों को रोककर कहा कि ये मेरा क्षेत्र है। जो भी मेरी शरण में आएगा उसका कोई कुछ अहित नहीं कर सकता। महादेव के कोप से कौरव वापस लौट गए। तभी से लेकर अब तक समाज के डर से या ठुकराए हुए प्रेमी जोड़े यहां आते हैं तो उन्हें महादेव का अभयदान तो मिलता ही है, गांववालों भी उनकी सहायता करते हैं। ग्रामीण यहां आए हुए प्रेमियों का अपने मेहमान की तरह स्वागत और रक्षा करते हैं। इस मंदिर में जाति, उम्र या समाज के अन्य रीति-रिवाजों को दरकिनार कर प्रेमियों की शादी कराई जाती है और इस मामले में पुलिस को भी दखलअंदाज़ी नहीं करने जी जाती है।

प्रेमियों के अलावा इस मंदिर मे अन्य श्रद्धालु भी आते हैं। सभिी के लिए यहां कुछ नियम हैं। मंदिर में शराब और सिगरेट का सेवन नहीं किया जा सकता। यहां चमड़े की वस्तुएं निषेध है। कोई भक्त या प्रेमी जोड़ा मंदिर में घोड़ा लेकर नहीं आ सकता है और यहां आप तेज़ आवाज में बात भी नहीं कर सकते है। इसके अलावा प्रेमी जोड़े यहां तब तक रह सकते हैं जब तक दोनों के परिवारों के बीच सुलह नहीं हो जाती। मामले के निपटारे के बिना यहां से उन्हें किसी को हटाने या ले जाने की इजाजत नहीं होती है। इस तरह ये मंदिर प्रेमियों के लिए एक वरदस्थली है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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