शारदीय नवरात्रि महानवमी : जानिए देश के विभिन्न हिस्सों में कैसे मनाई जाती है नवमी, स्थानीय परंपराएं, पूजा विधि और इस दिन का महत्व

हिंदू धर्म में नवमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसे "महानवमी" कहा जाता है और यह नवरात्रि का अंतिम दिन होता है, जो देवी दुर्गा की उपासना का प्रतीक है। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है, जिन्हें सभी सिद्धियों की देवी माना जाता है। महानवमी भारत के विभिन्न हिस्सों में उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं के अनुसार अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। यह दिन देवी दुर्गा की शक्ति और उनके साहस को समर्पित है जो पूरे देश में भक्ति, हर्षोल्लास और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। 

Navratri Maha Navami : आज शारदीय नवरात्रि की नवमी है। इस साल नवमी पूजा 11 अक्टूबर को अष्टमी तिथि के बाद शुरू होगी और 12 अक्टूबर को समाप्त होगी और बारह अक्टूबर को दशहरा भी मनाया जाएगा। नवमी तिथि का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसे महानवमी के रूप में मनाया जाता है, जो देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना की जाती है, जो भक्तों को सभी सिद्धियों का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

इस साल अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ने के कारण, दोनों तिथियों की पूजा 11 अक्टूबर को की जा सकती है। श्रद्धालु इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करके अपने व्रत का समापन करेंगे। मान्यता है कि नवरात्रि के इस अंतिम दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, जिससे यह तिथि और भी विशेष मानी जाती है। महानवमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं के साथ एक बटुक (बालक) को भोजन कराया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

महानवमी पर देश के विभिन्न हिस्सों में पूजा विधि और परंपरा

महानवमी को मां दुर्गा के महिषासुर पर विजय प्राप्त करने का दिन माना जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दिन महिषासुर मर्दिनी के रूप में मां दुर्गा की पूजा का विशेष अवसर होता है और भक्त इस दिन को बड़े उल्लास के साथ मनाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भक्त नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं, उन्हें देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नवमी का यह पर्व शक्ति की उपासना और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होने के कारण हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। भारत में महानवमी (दुर्गा पूजा का नवां दिन) विविध संस्कृतियों और परंपराओं का प्रतीक है और इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। इस पर्व को मुख्य रूप से शक्ति की पूजा के रूप में देखा जाता है और इसके धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के आधार पर इसकी मनाने की शैली विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती है। हम यहां भारत के प्रमुख क्षेत्रों में महानवमी के आयोजन की विविध परंपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं।

1. पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में, महानवमी दुर्गा पूजा के महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। दुर्गा पूजा का आयोजन यहां बहुत बड़े पैमाने पर होता है। नवमी के दिन, विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं। दुर्गा की महिषासुर पर विजय का उत्सव मनाने के लिए भक्तगण पूजा पंडालों में जाते हैं और “कुंजिका स्तोत्र” का पाठ करते हैं। इसके बाद नृत्य, संगीत और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां का विशेष “सिंदूर खेला” भी प्रसिद्ध है, जहां विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं।

2. उत्तर भारत 

उत्तर भारत में, महानवमी पर रामलीला का आयोजन अपने चरम पर होता है। रामायण की कहानियों का नाटकीय मंचन रामलीला के रूप में किया जाता है, और इस दिन रावण का वध किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मंदिरों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और घरों में भी नौ कन्याओं (कन्या पूजन) को आमंत्रित कर भोजन कराया जाता है, जिन्हें नवदुर्गा का प्रतीक माना जाता है।

3. गुजरात

गुजरात में, नवरात्रि के सभी दिनों में गरबा और डांडिया रास का आयोजन किया जाता है, जो नवमी तक बड़े उत्साह से जारी रहता है। महानवमी पर लोग व्रत रखकर देवी की आराधना करते हैं और भव्य पूजा अर्चना के बाद रात को गरबा खेलते हैं। गुजरात की नवरात्रि महोत्सव की भव्यता विश्व प्रसिद्ध है।

4. दक्षिण भारत (कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु)

दक्षिण भारत में महानवमी “आयुध पूजा” के रूप में मनाई जाती है। इस दिन सभी औजार, शस्त्र, यंत्रों की पूजा की जाती है, जो कर्म और ज्ञान की देवी सरस्वती के प्रति सम्मान का प्रतीक है। कर्नाटक में मैसूर दशहरा बहुत प्रसिद्ध है, जहां विशाल जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां, देवी चामुंडेश्वरी की विशेष पूजा होती है, और लोग मैसूर पैलेस के भव्य जुलूस का हिस्सा बनते हैं।

5. पूर्वोत्तर भारत (असम, त्रिपुरा)

पूर्वोत्तर भारत में महानवमी का उत्सव बंगाल की दुर्गा पूजा की तरह ही होता है। असम और त्रिपुरा में दुर्गा पूजा का आयोजन भव्य रूप से किया जाता है, जहां लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। यहां का बिहू नृत्य और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम विशेष आकर्षण होते हैं।

6. बिहार और झारखंड

बिहार और झारखंड में, महानवमी के दिन लोग शक्ति पीठों पर देवी की पूजा के लिए जाते हैं। यहां पर देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है, और भक्तजन देवी मंदिरों में विशेष हवन और अनुष्ठान करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस दिन का खास महत्व है और लोग उपवास रखते हैं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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