Chhath Puja 2023 : छठ पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व प्रायः उत्तर-पूर्वी राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक ऐसा पर्व है, जिसमें सूर्य और छठी मां की पूजा की जाती है। इस पर्व में लोग छठी मां के लिए व्रत रखते हैं। इस दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य अर्घ्य दिया जाता है। बता दें कि इस त्योहार में महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं, इस साल नहाए खाए के साथ यानि 17 नवंबर से लोकआस्था का महापर्व शुरू हो रहा है जो कि 20 नवंबर तक चलेगा। आइए विस्तार से जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व…
तिथि
- नहाय खाए (षष्ठी व्रत) : 17 नवंबर, 2023
- खरना : 18 नवंबर, 2023
- डूबते सूर्य को अर्घ्य : 19 नवंबर, 2023
- उगते सूर्य को अर्घ्य : 20 नवंबर, 2023
शुभ मुहूर्त
- डूबते सूर्य को अर्घ्य : शाम 5 बजकर 26 मिनट
- उगते सूर्य को अर्घ्य : सुबह 06 बजकर 47 मिनट
पौराणिक कथा
बता दें कि षष्ठी देवी की पूजा विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए की जाती है और उनकी कृपा से बच्चों की सुरक्षा की जाती है। इसके पीछे की पौराणिक कथा के अनुसार, षष्ठी देवी को ब्रह्मा देव की मानस पुत्री माना जाता है और वह निःसंतानता के लिए पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, राजा प्रियाव्रत की संतान प्राप्ति में आ रही समस्या के समाधान के लिए महर्षि कश्यप ने षष्ठी देवी की कृपा का सुझाव दिया। षष्ठी देवी की पूजा करने से राजा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन वह पुत्र मर गया। इस पर राजा क्रोधित होकर आत्महत्या के लिए तैयार हुए। इस समय षष्ठी देवी ने प्रकट होकर राजा को बताया कि जो उनकी पूजा करेगा, उसकी संतान की रक्षा करेगी। जिसके बाद उन्होंने राजा के मृत बच्चे पर हाथ फेरकर उसे जीवित कर दिया। तब से छठ पूजा की शुरूआत हो गई।
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