Chhath 2024 : छठ का महापर्व कल से शुरू हो जाएगा। इस खास मौके पर उगते सूरज और ढलते सूरज की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, विधि-विधानपूर्वक छठी मैया की भी आराधना की जाती है। यह त्यौहार खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। अन्य राज्यों में भी लोग इसे मनाते हैं, लेकिन जितना इन राज्यों में उत्साह देखने को मिलता है, उतना किसी भी राज्य में नहीं नजर आता। लोग इस त्यौहार का बहुत ज्यादा ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखकर अपने परिवार के सदस्यों की खुशी की कामना करते हैं। इसलिए इस महापर्व कहा जाता है। यह लोगों की आस्था और भावना का पर्व माना जाता है। पूजा के लिए बहुत सी तैयारी की जाती है। पूरे घर की साफ सफाई होती है।
सुबह से ही सबके घरों में छठ के गीत बजने लगते हैं। यह एक ऐसा त्यौहार जब पूरा परिवार एक साथ होता है। दिनभर भागदौड़ बनी रहती है। इस दौरान पहले दिन नहाए खाए होता है। इस साल 5 नवंबर से छठ पूजा शुरू होगी और 8 नवंबर को सुबह अर्घ्य देने के साथ इसका समापन होगा।
जानें तारिख (Chhath 2024)
- पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
- दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
- तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य
- चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते सूर्य को अर्घ्य
ठेकुआ महाप्रसाद
अमूमन सभी पर्व में तरह-तरह के फल चढ़ाए जाते हैं। छठ में भी बहुत से प्रकार के फल भोग के तौर पर चढ़ाए जाते हैं, लेकिन इस दौरान ठेकुआ काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे लोग महाप्रसाद कहते हैं। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। प्रसाद का ठेकुआ सभी लोग बड़े चाव से खाना पसंद करते हैं। हर घर में रात-रात भर जागकर लोग ठेकुआ बनाते हैं और घाट पर लेकर जाते हैं। पूजा खत्म हो जाने के बाद इसे लोगों में बांटा जाता है। साथ ही परिवार के सभी सदस्य भी उसे खाते हैं।
ऐसे में यदि आप भी ठेकुआ बनाना चाहते हैं और बिल्कुल प्रसाद जैसा स्वाद पाना चाहते हैं, तो हम आपको बहुत ही आसान सी रेसिपी बताने जा रहे हैं, जिसे फॉलो करके आप घर पर ही खस्ता ठेकुआ तैयार कर सकती हैं।
सामग्री
इसके लिए आपको 2 कप गेहूं का आटा, 1 कप कद्दूकस किया हुआ नारियल, 1/2कप सूखे मेवे, 1/2टीस्पून इलायची पाउडर, एक चौथाई कप दूध, एक चौथाई कप घी या फिर रिफाइन तेल और चुटकी भर नमक लेना है।
रेसिपी
ठेकुआ बनाने के लिए सबसे पहले एक बड़े बर्तन में गेहूं के आटे के साथ कद्दूकस किया हुआ नारियल, किशमिश, काजू बादाम, आदि डाल दें। अब इसमें दूध डालकर और पानी मिलाकर आटे को गुथ लें। जब तक आटा थोड़ा सख्त न हो जाए, तब तक इसे अच्छी तरह से गूथें। इसके बाद गुथे हुए आटे से छोटे-छोटे गोले बनाकर हथेली या फिर सांचे में रखकर उसे चपटा कर ले। अब कढ़ाई में घी या फिर तेल गर्म कर लें। अब इन्हें कढ़ाई में तेल डालकर गर्म होने के बाद छान कर साफ बर्तन में निकाल लें।
पौराणिक मान्यताएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पहली बार त्रेता युग में माता सीता ने छठ का व्रत किया था। तो वहीं भगवान श्री राम ने सूर्य देव की आराधना की थी। इसके अलावा, द्वापर युग में दानवीर कर्ण और द्रौपदी ने भगवान सूर्य की पूजा और उपासना की थी। तब से ही छठ का त्योहार बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। एक और मान्यता है जिसके अनुसार, राजा प्रियंवद ने सबसे पहले छठ माता की पूजा की थी। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने वाले जातकों के जीवन से सभी प्रकार के दुख कष्ट दूर हो जाते हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)