Masik Krishna Janmashtami 2024: मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्ति के लिए एक अत्यंत शुभ अवसर माना जाता है। इस दिन यदि आप भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने हेतु “गोविन्द दामोदर स्तोत्र” का पाठ करते हैं, तो आपको उनकी विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के बाल रूप का वर्णन करता है, जिसमें वे माँ यशोदा की रस्सी से बंधे हुए हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण होता है और मन को शांति मिलती है। माना जाता है कि “गोविन्द दामोदर स्तोत्र” का पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा से पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसलिए, यदि आप मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो “गोविन्द दामोदर स्तोत्र” का पाठ अवश्य करें।
ज्येष्ठ माह की मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कब है ?
हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ माह की मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 30 मई गुरुवार को मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। विशेष रूप से इस दिन गोविन्द दामोदर स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के बाल रूप का वर्णन करता है, जिसमें वे माँ यशोदा की रस्सी से बंधे हुए हैं। मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अतः, आइए इस मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर गोविन्द दामोदर स्तोत्र का पाठ अवश्य करें और भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करें।
पूजा :
श्री कृष्ण की प्रतिमा या मूर्ति को स्नान कराएं और उनका श्रृंगार करें। दीप प्रज्वलित करें और धूप जलाएं। भगवान कृष्ण को भोग अर्पित करें। “हरे कृष्ण हरे राम” महामंत्र का जाप करें। “श्री कृष्ण चालीसा” या “भागवत गीता” का पाठ करें।
व्रत:
मासिक जन्माष्टमी के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। आप निर्जला व्रत रख सकते हैं या फिर फलहार कर सकते हैं। व्रत के दौरान, दिनभर भगवान कृष्ण का ध्यान करें और सत्संग सुनें। शाम को व्रत का पारण करें और भगवान कृष्ण को भोग अर्पित करें।
दान:
मासिक जन्माष्टमी के दिन दान करना भी बहुत पुण्यकारी होता है। आप गरीबों, ब्राह्मणों या गोशालाओं को दान दे सकते हैं। आप वस्त्र, भोजन या धन का दान कर सकते हैं।
अन्य उपाय
मासिक जन्माष्टमी के दिन अपने घर को साफ-सुथरा रखें। गायों को चारा खिलाएं और उनकी सेवा करें। बुजुर्गों का सम्मान करें और उनकी सेवा करें। जरूरतमंदों की मदद करें।
करें गोविन्द दामोदर स्तोत्र
गोविन्द दामोदर स्तोत्र
अग्रे कुरूणाम् अथ पाण्डवानां दुःशासनेनाहृत-वस्त्र-केशा ।
कृष्णा तदाक्रोशत् अनन्यनाथा गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
श्री कृष्ण विष्णो मधु-कैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे।
त्रायस्व मां केशव लोकनाथ गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
विक्रेतु-कामा किल गोप-कन्या मुरारि-पादार्पित-चित्त-वृत्तिः।
दध्यादिकं मोहवशात् अवोचत् गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
उलूखले सम्भृत-तण्डुलांश्च सङ्घट्टयन्त्यो मुसलैः प्रमुग्धाः ।
गायन्ति गोप्यो जनितानुरागा गोविन्द दामोदर माधवेति ||
काचित् कराम्भोज-पुटे निषण्णं क्रीडा-शुकं किंशुक-रक्त-तुण्डम् ।
अध्यापयामास सरोरुहाक्षी गोविन्द दामोदर माधवेति ||
गृहे गृहे गोप-वधू-समूहः प्रति-क्षणं पिञ्जर-सारिकानाम् ।
स्खलद्-गिरं वाचयितुं प्रवृत्तो गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
पर्य्यङ्किकाभाजम् अलम् कुमारं प्रस्वापयन्त्योऽखिल- गोप-कन्याः।
जगुः प्रबन्धं स्वर-ताल-बन्धं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
रामानुजं वीक्षण-केलि-लोलं गोपी गृहीत्वा नव-नीत-गोलम् ।
आबालकं बालकम् आजुहाव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
विचित्र-वर्णाभरणाभिरामेऽभिधेहि वक्त्राम्बुज-राजहंसि ।
सदा मदीये रसनेऽग्र-रङ्गे गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
अङ्काधिरूढं शिशु-गोप-गूढं स्तनं धयन्तं कमलैककान्तम् ।
सम्बोधयामास मुदा यशोदा गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
क्रीडन्तम् अन्तर्-व्रजम् आत्मनं स्वं समं वयस्यैः पशु-पाल-बालैः।
प्रेम्णा यशोदा प्रजुहाव कृष्णं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
यशोदया गाढम् उलूखलेन गो-कण्ठ-पाशेन निबध्यमानः ।
रुरोद मन्दं नवनीत-भोजी गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
निजाङ्गणे कङ्कण-केलि-लोलं गोपी गृहीत्वा नवनीत-गोलम् ।
आमर्दयत् पाणि-तलेन नेत्रे गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
गृहे गृहे गोप-वधू-कदम्बाः सर्वे मिलित्वा समवाय-योगे ।
पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
मन्दार-मूले वदनाभिरामं बिम्बाधरे पूरित-वेणु-नादम् ।
गो-गोप-गोपी जन-मध्य-संस्थं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
उत्थाय गोप्योऽपर-रात्र-भोगे स्मृत्वा यशोदा-सुत-बाल-केलिम् ।
गायन्ति प्रोच्चैः दधि-मन्थयन्त्यो गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
जग्धोऽथ दत्तो नवनीत-पिण्डो गृहे यशोदा विचिकित्सयन्ती ।
उवाच सत्यं वद हे मुरारे गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
अभ्यर्च्य गेहं युवतिः प्रवृद्ध- प्रेम-प्रवाहा दधि निर्ममन्थ ।
गायन्ति गोप्योऽथ सखी-समेता गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
क्वचित् प्रभाते दधि-पूर्ण-पात्रे निक्षिप्य मन्थं युवती मुकुन्दम् ।
आलोक्य गानं विविधं करोति गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
क्रीडापरं भोजन-मज्जनार्थं हितैषिणी स्त्री तनुजं यशोदा ।
आजूहवत् प्रेम-परि-प्लुताक्षी गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
सुखं शयानं निलये च विष्णुं देवर्षि-मुख्या मुनयः प्रपन्नाः ।
तेनाच्युते तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
विहाय निद्राम् अरुणोदये च विधाय कृत्यानि च विप्रमुख्याः ।
वेदावसाने प्रपठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
वृन्दावने गोप-गणाश्च गोप्यो विलोक्य गोविन्द-वियोग-खिन्नाम् ।
राधां जगुः साश्रु-विलोचनाभ्यां गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
प्रभात-सञ्चार-गतानु गावस् तद्-रक्षणार्थं तनयं यशोदा ।
प्राबोधयत् पाणि-तलेन मन्दं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
प्रवाल-शोभा इव दीर्घ-केशा वाताम्बु-पर्णाशन-पूत-देहाः ।
मूले तरूणां मुनयः पठन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
एवं ब्रुवाणा विरहातुरा भृशं व्रज-स्त्रियः कृष्ण-विषक्त-मानसाः ।
विसृज्य लज्जां रुरुदुः स्म सुस्वरं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
गोपी कदाचिन् मणि-पिञ्जर-स्थं शुकं वचो वाचयितुं प्रवृत्ता ।
आनन्द-कन्द व्रज-चन्द्र कृष्ण गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
गो-वत्स-बालैः शिशु-काक-पक्षं बध्नन्तम् अम्भोज-दलायताक्षम् ।
उवाच माता चिबुकं गृहीत्वा गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
प्रभात-काले वर-वल्लवौघा गो-रक्षणार्थं धृत-वेत्र-दण्डाः ।
आकारयाम् आसुरनन्तमाद्यम् गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
जलाशये कालिय-मर्दनाय यदा कदम्बात् पतन् मुरारिः ।
गोपाङ्गनाश्चुक्रुशुरेत्य गोपा गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
अक्रूरम् आसाद्य यदा मुकुन्दः चापोत्सवार्थं मथुरां प्रविष्टः ।
तदा स पौरैः जयतीत्यभाषि गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
कंसस्य दूतेन यदैव नीतौ वृन्दावनान्तात् वसुदेव-सूनौ ।
रुरोद गोपी भवनस्य मध्ये गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
सरोवरे कालिय-नाग-बद्धं शिशुं यशोदा-तनयं निशम्य ।
चक्रुर् लुठन्त्यः पथि गोप-बाला गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
अक्रूर-याने यदु-वंश-नाथं सङ्गच्छमानं मथुरां निरीक्ष्य ।
ऊचुर्वियोगात् किल गोप-बाला गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
चक्रन्द गोपी नलिनी-वनान्ते कृष्णेन हीना कुसुमे शयाना ।
प्रफुल्ल-नीलोत्पल-लोचनाभ्यां गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
माता-पितृभ्यां परिवार्यमाणा गेहं प्रविष्टा विललाप गोपी ।
आगत्य मां पालय विश्वनाथ गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
वृन्दावनस्थं हरिम् आशु बुद्ध्वा गोपी गता कापि वनं निशायाम् ।
तत्राप्य् अदृष्ट्वाऽति भयादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णोः प्रवदन्ति मर्त्याः ।
ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
सा नीरजाक्षीम् अवलोक्य राधां रुरोद गोविन्द-वियोग-खिन्नाम् ।
सखी प्रफुल्लोत्पल-लोचनाभ्यां गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
जिह्वे रसज्ञे मधुर-प्रिया त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि ।
आवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
आत्यन्तिक-व्याधिहरं जनानां चिकित्सकं वेद-विदो वदन्ति ।
संसार-ताप-त्रय-नाश-बीजं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
ताताज्ञया गच्छति रामचन्द्रे स-लक्ष्मणेऽरण्यचये स-सीते ।
चक्रन्द रामस्य निजा जनित्री गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
एकाकिनी दण्डक-काननान्तात् सा नीयमाना दशकन्धरेण ।
सीता तदाक्रन्दत् अनन्य-नाथा गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
रामाद्वियुक्ता जनकात्मजा सा विचिन्तयन्ती हृदि राम-रूपम् ।
रुरोद सीता रघुनाथ पाहि गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
प्रसीद विष्णो रघु-वंश-नाथ सुरासुराणां सुख-दुःख-हेतो ।
रुरोद सीता तु समुद्र-मध्ये गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
अन्तर्-जले ग्राह-गृहीत-पादो विसृष्ट-विक्लिष्ट-समस्त-बन्धुः ।
तदा गजेन्द्रो नितरां जगाद गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
हंसध्वजः शङ्खयुतो ददर्श पुत्रं कटाहे प्रपतन्तम् एनम् ।
पुण्यानि नामानि हरेः जपन्तं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
दुर्वाससो वाक्यम् उपेत्य कृष्णा सा चाब्रवीत् कानन-वासिनीशम् ।
अन्तः प्रविष्टं मनसा जुहाव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
ध्येयः सदा योगिभिरप्रमेयः चिन्ता-हरश्चिन्तित-पारिजातः ।
कस्तूरिका-कल्पित-नील-वर्णो गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
संसार-कूपे पतितोऽत्यगाधे मोहान्ध-पूर्णे विषयाभितप्ते ।
करावलम्बं मम देहि विष्णो गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्ड-धरे कृतान्ते ।
वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
भजस्व मन्त्रं भव-बन्ध-मुक्त्यै जिह्वे रसज्ञे सुलभं मनोज्ञम् ।
द्वैपायनाद्यैः मुनिभिः प्रजप्तं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
गोपाल वंशीधर रूप-सिन्धो लोकेश नारायण दीन-बन्धो ।
उच्चस्वरैस्त्वं वद सर्वदैव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि ।
समस्त-भक्तार्ति-विनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
गोविन्द गोविन्द हरे मुरारे गोविन्द गोविन्द मुकुन्द कृष्ण ।
गोविन्द गोविन्द रथाङ्ग-पाणे गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
सुखावसाने तु इदमेव सारं दुःखावसाने तु इदमेव गेयम् ।
देहावसाने तु इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
दुर्वार-वाक्यं परिगृह्य कृष्णा मृगीव भीता तु कथं कथञ्चित् ।
सभां प्रविष्टा मनसा जुहाव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धन-नाथ विष्णो।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
श्रीनाथ विश्वेश्वर विश्व-मूर्ते श्री देवकी-नन्दन दैत्य-शत्रो।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
गोपीपते कंस-रिपो मुकुन्द लक्ष्मीपते केशव वासुदेव।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
गोपी-जनाह्लाद-कर व्रजेश गो-चारणारण्य-कृत-प्रवेश ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
प्राणेश विश्वम्भर कैटभारे वैकुण्ठ नारायण चक्र-पाणे।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
हरे मुरारे मधुसूदनाद्य श्री राम सीतावर रावणारे ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
श्री यादवेन्द्राद्रिधराम्बुजाक्ष गो-गोप-गोपी-सुख-दान-दक्ष।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
धराभरोत्तारण-गोप-वेष विहार-लीला-कृत-बन्धु-शेष ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
बकी-बकाघासुर-धेनुकारे केशी-तृणावर्त-विघात-दक्ष ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
श्री जानकी-जीवन रामचन्द्र निशाचरारे भरताग्रजेश ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
नारायणानन्त हरे नृसिंह प्रह्लाद-बाधाहर हे कृपालो ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
लीला-मनुष्याकृति-राम-रूप प्रताप-दासीकृत-सर्व-भूप ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
वक्तुं समर्थोऽपि न वक्ति कश्चिद् अहो जनानां व्यसनाभिमुख्यम्।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ।।
इति श्री बिल्वमङ्गळाचार्य-विरचितं श्री गोविन्द-दामोदर-स्तोत्रं संपूर्णम् ।।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)