Sun, Dec 28, 2025

अजा एकादशी के दिन 2 शुभ संयोग का हो रहा निर्माण, साधकों को पूजा-पाठ का विशेष लाभ होगा प्राप्त

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
अजा एकादशी के दिन 2 शुभ संयोग का हो रहा निर्माण, साधकों को पूजा-पाठ का विशेष लाभ होगा प्राप्त

Aja Ekadashi 2023 : हिन्दू पंचांग के अनुसार, अजा एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए किया जाता है। व्रत के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति सजा कर पूजा की जाती है और भक्तगण उनके नाम का भजन करते हैं। व्रत के दिन उपवास करना और सवेरे और संध्या काल में पूजा किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इसकी तिथि हर साल बदलती रहती है, जिसमें तिथियां और मासों के अनुसार व्रतों की तिथियाँ निर्धारित होती हैं। इस साल अजा एकादशी व्रत को 10 सितंबर 2023 रविवार को रखा जाएगा।

शुभ संयोग का हो रहा निर्माण

अजा एकादशी के दिन 2 शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के साथ रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जिससे साधकों को विशेष लाभ मिलेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के बीच एक विशेष संयोग बन रहा है, जिसे “त्रिमूर्ति योग” कहा जाता है। इस समय पूजा, पाठ और ध्यान करने से साधक अत्यंत आदर्श फल प्राप्त कर सकते हैं।

अजा एकादशी शुभ मुहूर्त

  • भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 09 सितंबर 2023 शाम 07 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 10 सितंबर 2023 रात्रि 09 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी।
  • इस दिन पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का संयोग हो रहा है। पुनर्वसु नक्षत्र शाम 05 बजकर 06 मिनट तक रहेगा और इसके बाद पुष्य नक्षत्र शुरू हो जाएगा।
  • इस दिन रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग हो रहा है, जो शाम 05 बजकर 06 मिनट से 11 सितंबर सुबह 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

अजा एकादशी की पूजा विधि

  • व्रत के दिन आपको साफ-सफाई और शुद्धि का ध्यान रखना चाहिए। श्रीविष्णु की मूर्ति, फोटो या इमेज को सजाना चाहिए, जिसके साथ आप पूजा करेंगे।
  • व्रत के दिन उपवास रखें, जिसमें आप निराहार रहते हैं और जिन भोजन पदार्थों का सेवन करते हैं, वे व्रत के नियमों के अनुसार होने चाहिए।
  • अजा एकादशी के दिन श्रीविष्णु की पूजा करें। पूजा में तुलसी की पत्तियों, फूलों, धूप, दीप, भगवान को अन्न चढ़ाना, तीर्थ, वस्त्र और बाण का उपयोग करें।
  • पूजा के दौरान भगवान विष्णु के सहस्रनामा स्तोत्र का पाठ करें।
  • व्रत के दिन भगवान के भजन और कीर्तन का आयोजन करें, जो आध्यात्मिक भावना को बढ़ावा देता है और मन को शांति प्रदान करता है।
  • पूजा के बाद भगवान का प्रसाद सबको बाँटें और खुद भी खाएं।
  • अजा एकादशी के दिन दान करने का भी अच्छा मौका होता है।
  • पूजा का समापन करने के बाद भगवान की आराधना करते समय अपनी आँखों से भगवान की मूर्ति को देखें और भगवान से आशीर्वाद मांगें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)