Ratna Astrology: ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की राशि के मुताबिक ग्रह नक्षत्रों की दिशा के अनुरूप कई चीजों का पता लगाया जाता है। राशि में होने वाला ग्रहों का मिलन कुछ शुभ और कुछ अशुभ योग का निर्माण करता है, जिसका सीधा असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। जिस तरह से व्यक्ति की राशि के आधार पर उसके जीवन के बारे में पता लगाया जा सकता है ठीक उसी तरह से परेशानियों का समाधान भी ज्योतिष में छुपा हुआ है।
रत्न शास्त्र, ज्योतिष की बहुत ही महत्वपूर्ण शाखा है, जिसमें कई रत्नों के बारे में उल्लेख किया गया है। जातक के जीवन में ग्रहों की प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में कई रत्न बहुत लाभदायक है। आज हम आपको रत्न शास्त्र के बहुत ही शुभ रत्न मोती के बारे में जानकारी देते।
शुभ है मोती रत्न
मोती रत्न का संबंध चंद्रमा से होता है और चंद्रमा को व्यक्ति के मन का कारक माना गया है। इसे पहनना बहुत शुभ होता है और व्यक्ति के मन को शांति मिलती है। जीवन में आ रही सभी परेशानियों का खत्म होती है और प्रेम तथा वैवाहिक संबंधों में ऊर्जा और समरसता बनी रहती है।
जो व्यक्ति मोती रत्न धारण करता है उसके मन से नकारात्मक विचार सदा के लिए दूर हो जाते हैं। वैवाहिक या प्रेम संबंध में जीवन साथी के साथ चल रहा मनमुटाव भी दूर हो जाता है। जिन लोगों का पढ़ाई या फिर काम में मन नहीं लगता है उन्हें मोती रत्न धारण करना चाहिए इससे उन्हें शुभ फल प्राप्त होते हैं। लेकिन इस रत्न को धारण करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, चलिए आपको उन्हीं के बारे में बताते हैं।
किस उंगली में करें धारण
धार्मिक मान्यता के मुताबिक जिस हाथ का व्यक्ति ज्यादा इस्तेमाल करता है, उसे इस रत्न को उसी हाथ में धारण करना चाहिए। इसे हमेशा कनिष्ठा यानी हाथ की छोटी उंगली में पहना जाता है।
इन रत्नों के साथ ना पहने
जिस तरह से ग्रहों का मिलन अलग-अलग तरह की स्थिति उत्पन्न करता है। उसी तरह से एक साथ धारण किए गए रत्न भी अलग-अलग प्रभाव पैदा करते हैं। अगर आप मोती रत्न धारण कर रहे हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कभी भी नीलम या गोमेद के साथ धारण नहीं करें।
इन बातों का रखें ध्यान
- मोती धारण करने से पूर्व इस बात का ध्यान रखें कि इसे शुक्ल पक्ष के सोमवार को धारण करना अच्छा होता है।
- मोती धारण करने के लिए पूर्णिमा का दिन भी अच्छा माना गया है।
- रत्न शास्त्र के मुताबिक जिस मोती को आप धारण कर रहे हैं, वह कम से कम 7 से 8 रत्ती का होना चाहिए।
- इस रत्न को धारण करने से पूर्व गंगाजल या फिर गाय के कच्चे दूध में 10 मिनट तक भिगोकर रखें और धारण करने से पहले ॐ चंद्राय नमः का 108 बार जप जरूर करें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)