Puja Path Niyam: हिन्दू धर्म में सूर्य को देवता की तरह पूजा जाता है। सूर्यदेव को आत्मा, सफलता और पद-प्रतिष्ठा का कारक माना जाता है। इनकी पूजा और उपासना से कई फायदे मिलते हैं। मान्यताएं हैं जो व्यक्ति सूर्य को जल अर्पित करता है और श्रद्धा भाव से पूजा करते है, उसे हर कार्य में सफलता मिलती है। बुद्धि, शक्ति, आत्मविश्वास, ऊर्जा और विद्या की प्राप्ति होतो है। लेकिन यदि विधि-विधान के साथ पूजा न की जाए तो फल की प्राप्ति नहीं होती। सूर्यदेव की पूजा के दौरान कुछ नियमों का कारण करना जरूरी होता है। आइए एक नजर इन नियमों पर डालें-
कितनी बार चढ़ा सकते हैं सूर्य को अर्घ्य
सूर्य को बारी-बार से 3 बार अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही तीन बार परिक्रमा भी करनी चाहिए। सुबह सबसे पहले एक बार अर्घ्य दें फिर परिक्रमा करें। यह प्रक्रिया 2 बार और करें।
सूर्य को अर्घ्य देने का उचित समय
सूर्य को सही समय पर अर्घ्य देना जरूरी माना जाता है। सुबह जल्दी उठकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। केवल छठ पूजा के समय ही शाम में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
इन बातों का रखें खास ध्यान
- सूर्य को अर्घ्य देते समय साधक का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्रों को पहनना शुभ माना जाता है।
- अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए।
- अर्घ्य देते समय साधक जल की धारा की ओर देखें।
- जल में लाल फूल या काले तील मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- जल अर्पित करके के बाद सूर्यदेव को प्रणाम करें।
इन मंत्रों का करें जाप
सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय मंत्रों का जाप करना महत्वपूर्ण होता है। अर्घ्य देते समय ॐ सूर्याय नमः”, ॐ आदित्याय नमः, ॐ घृणि सूर्याय नमः, ॐ भास्कराय नमः आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो ग्रंथों, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)