प्रेम की मिसाल थी राधा-कृष्ण की जोड़ी, एक श्राप ने कर दिए उम्र भर के लिए जुदा

Sanjucta Pandit
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Radha Krishna Love Story : सनातन धर्म में जब भी बात प्रेम की आती है, तो सबसे पहले उदाहरण के तौर पर भगवान श्री कृष्ण और राधा का नाम लिया जाता है। अक्सर आपने यह देखा भी होगा कि मंदिर में राधा और कृष्ण की ही पूजा की जाती है। कृष्ण के बगल में हमेशा राधा जी की मूर्ति रहती है। ऐसी मान्यता है कि दोनों के बीच आध्यात्मिक प्रेम था। इसकी कोई व्याख्या नहीं कर सकता, क्योंकि उनके प्रेम को शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है। अब ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल भी उठना है कि अथक प्रेम होने के बावजूद दोनों लोग शादी के बंधन में क्यों नहीं बन पाए क्योंकि दोनों ने ही एक-दूसरे को शिद्दत से प्रेम किया था। इसके बावजूद, वह विवाह नहीं कर पाए थे और आज सारे जग में दोनों की जोड़ी प्रेम का प्रतीक बन चुकी है।

प्रेम की मिसाल थी राधा-कृष्ण की जोड़ी, एक श्राप ने कर दिए उम्र भर के लिए जुदा

प्रेम नहीं हो सका पूरा

बहुत सी मान्यताओं और बड़े बुजुर्गों से आप सुनते आ रहे होंगे कि एक श्राप के कारण दोनों का मिलन धरती लोक पर संभव नहीं हो पाया था। अधिकतर धर्म ग्रंथो में इस बात की चर्चा की गई है कि राधा को एक श्राप मिला था, जिस कारण उन्हें उनका प्रेम यानी कि कृष्ण पति के रूप में नहीं प्राप्त हुए थे। ऐसा कहते हैं कि प्रेम जितना चंचल और निर्मल होता है, उसके रास्ते उतने ही अधिक जटिलताओं से भरी होती है। भले ही भगवान श्री कृष्ण और राधा का नाम एक साथ लिया जाता है, लेकिन कभी भी उनकी प्रेम कहानी पूरी नहीं हो सकी, जबकि वह खुद जग के पालनहारा हैं। इसके बावजूद, धरती लोक पर वह अपनी प्रेमिका को प्राप्त ना कर सके।

इस जगह हुआ था राधा का जन्म

पौराणिक ग्रंथों में भगवान श्री कृष्ण की 8 पत्नियों का जिक्र पाया गया है, लेकिन उनमें राधा का नाम शामिल नहीं है, जबकि यह भी ज्ञात नहीं है कि राधा ने अपनी अंतिम छण कहां बिताए थे। हालांकि, राधा को हमेशा कृष्ण की परछाई माना जाता है, क्योंकि वह राधा के बिना अधूरे थे। हालांकि, सनातन धर्म के कई ग्रंथों में राधा के जन्म का जिक्र पाया जाता है। बता दें कि राधा का जन्म रावल गांव में भादो महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के अनुराधा नक्षत्र में हुआ था, जहां आज भी राधा रानी का महल बना हुआ है जो कि लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र है।

अब राधा के मन में कृष्ण कैसे समाए, यह भी एक बड़ा प्रश्न है। उनकी लीलाओं के बारे में सुनकर यह पता चलता है कि कान्हा के लिए तो हर गोपियां दीवानी थी, लेकिन कृष्णा और राधा की जोड़ी अलग ही थी। दरअसल, राधा ने भगवान श्रीकृष्ण को अपने तन-मन में इस तरह बसा लिया था कि वह मन ही मन उन्हें अपना सबकुछ मान चुकी थीं। राधा उनके साथ अपना जीवन व्यतीत करना चाहती थी, लेकिन उनकी किस्मत को यह मंजूर नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें एक श्राप मिला था।

इनसे मिला था श्राप

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह श्राप किसी और ने नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र सुदामा ने दिया था। दोनों की दोस्ती को आज भी सबसे गहरी मानी जाती है, लेकिन वह राधा और कृष्ण के विरह की वजह बन गए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार कृष्ण विरजा नामक गोपिका के साथ गोलोक में विहार कर रहे थे। इस दौरान राधा वहां पहुंच गई और दोनों को साथ वहां एक साथ देखकर काफी क्रोधित हुई और गुस्से में आकर दोनों का अपमान भी किया और विरजा को धरती पर ब्राह्मण के रुप में कष्ट दायक जीवन जीने का श्राप दे दिया। यह सब कृष्ण और सुदामा देख रहे थे और राधा को समझाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं मानी और सुदामा को असुर कुल में जन्म लेने का श्राप दे दिया, जिसे सुदामा बर्दाश्त नहीं कर पाएं और बदले में उन्होंने भी राधा को कृष्ण से बिछड़ने का श्राप दे दिया।

प्रेम होने के बावजूद भी उनसे उनका प्रेम बिछड़ जाएगा। जिसका नतीजा था कि दोनों के बीच प्रेम होने के बावजूद वह एक ना हो सके। हालांकि, कई जगह इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कृष्ण और राधा एक ही थे। दोनों में कोई फर्क नहीं था। इसलिए दोनों की पूजा हर मंदिर में साथ में की जाती है। दोनों की कहानी अधूरी होकर भी पूरी है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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