काल सर्प दोष के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाएगा ये रत्न, ऐसे करें धारण

Diksha Bhanupriy
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Ratna Shastra

Ratna Astrology: ज्योतिष शास्त्र की अलग-अलग शाखाओं में व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई चीजों का जिक्र किया गया है। कई ऐसे उपाय और वस्तुएं हैं, जो बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान करती है।

रत्ने शास्त्र भी ज्योतिष की एक ऐसे ही शाखा है जो अलग-अलग तरह के रत्नों की मदद से अनुकूल ग्रहों की ऊर्जा के साथ तालमेल बिठाने का काम करते हैं। जब ग्रहों के अनुकूल रत्न व्यक्ति धारण करता है तो उसे जीवन में सफलता भी मिलती है और अन्य समस्याओं का समाधान भी होता है।

अगर आप अपने जीवन में लगातार मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और चारों तरफ से बाधाओं से घिरे हुए हैं, तो रत्न आपको इन से बाहर निकालने में भी सहायक होते हैं। कुंडली में कालसर्प दोष होने की वजह से जातक हर तरफ से मुश्किलों का सामना करता है। इस वजह से नौकरी में दिक्कत आने के साथ संतान संबंधी कष्ट और घर में क्लेश का माहौल बना रहता है सुख-शांति खत्म हो जाती है। लेकिन कुछ रत्नों को धारण कर कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों को खत्म किया जा सकता है। चलिए आपको इनके बारे में बताते हैं।

गोमेद

गोमेद एक ऐसा रत्न है जिसे धारण करने से कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। शहद जैसे रंग का नजर आने वाला है यह रत्न राहु से जुड़ा होता है जो व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा को संतुलित करने का काम करता है। इसे धारण करने के बाद जातक के जीवन में परेशानियां कम होने लगती है।

कैसे दूर करेगा काल सर्प दोष

मान्यताओं के मुताबिक गोमेद के अंदर रहस्यमय गुण मौजूद होते हैं। जो राहु और केतु के प्रभाव को संतुलित करने में मददगार होते हैं। इसे धारण करने से बुरी एनर्जी से सुरक्षा मिलती है और व्यक्ति की रुचि आध्यात्म की ओर जागती है। ये रत्न व्यक्ति की बुद्धिमता को बढ़ाने का काम करता है, जिससे वह कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय ले पाता है।

ग्रहों की स्थिति देखना है जरूरी

अगर आप काल सर्प दोष का निवारण करने के लिए गोमेद धारण करना चाहते हैं तो इससे पहले ज्योतिष का परामर्श लेना आवश्यक है। व्यक्ति के जन्म के समय राहु और केतु की स्थिति कैसी थी, इसी आधार पर इस रत्न को धारण करने की जरूरत का पता लगाया जा सकता है।

ऐसे करें धारण

गोमेद को धारण करने से पहले इसके अंदर मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को पूरी तरह से जगाने के लिए इसकी सफाई की जाती है। इस रत्न को दूध, शहद या फिर पानी में डुबोया जाता है और वैदिक मंत्रों की सहायता से सक्रिय किया जाता है। ज्यादा लाभ और अशुभ दोषों से मुक्ति के लिए इसे विशेष दिन और शुभ योग में धारण करने की मान्यता है।

(Disclaimer यहां दी गई जानकारी के पूर्णतः सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता। उपयोग से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।)


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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