Kuber Chalisa Path: सनातन धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित होता है। भक्तजन अपनी भक्ति अनुसार प्रत्येक दिन देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। आज शुक्रवार है शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर का दिन होता है। इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा करने से जीवन में आ रही तमाम धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती है। इस दिन धन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए और माता लक्ष्मी और कुबेर देव को प्रसन्न करने के लिए लोग पूजा अर्चना के अलावा तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। शुक्रवार का व्रत खूब फलता फूलता है। अधिकतर लोग शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं लेकिन कुबेर देव की पूजा नहीं करते हैं। शुभ फल की प्राप्ति के लिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ कुबेर देव की पूजा भी करनी चाहिए। पूजा के दौरान कुबेर चालीसा का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। इस पाठ के बिना कुबेर देव की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस चालीसा का पाठ करने से घर धन-धान्य से भर जाता है। इसी के साथ चलिए, जानते हैं कुबेर चालीसा पाठ।
कुबेर चालीसा
दोहा
श्री यक्षराज कुबेर । हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर ॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।
दया की दृष्टि फेर । नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
चौपाई
जय कुबेर महाराज, धन के भंडार।
धन-धान्य से भरे रहो, तुम मेरे द्वार ॥
तुम हो देवों के कोषाध्यक्ष,
सबकी तुम हो रक्षाकर्ता।
तुम हो यक्षों के स्वामी,
तुम हो सबकी मनोकामना पूर्ण करने वाले ॥
तुम हो अटल हिमालय, और जैसे अडिग सुमेर।
तुम हो विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ॥
धन माया के ढेर,
तुम ही हो अधिकारी।
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी,
पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी,
सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी।
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी,
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं।
सदा विजयी कभी ना हारैं।
भगत जनों के संकट टारैं ॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता।
पुलिष्ता वंश के जन्म विख्याता।
विभीषण भगत आपके भ्राता।
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया।
शिव वरदान मिले देवत्य पाया।
अमृत पान करी अमर हुई काया ॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में।
देवी देवता सब फिरैं साथ में।
पीतांबर वस्त्र पहने गात में।
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं।
त्रिशूल गदा हाथ में साजैं।
शंख मृदंग नगारे बाजैं।
गंधर्व राग मधुर मधुर गावैं ॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं।
ऋद्धि-सिद्धि नित भोग लगावैं।
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढुलावैं ॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं।
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥
॥ दोहा ॥
जो कोई नर पाठ करे चालीसा।
उसके घर में धन धान्य फल भरे।
अर्थ
जो कोई श्री कुबेर चालीसा का पाठ करता है, उसके घर में धन-धान्य, फल-फूल और सुख-समृद्धि की बरसात होती है। कुबेर चालीसा का पाठ करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। व्यवसाय में तरक्की होती है। कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश होता है। और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले एक साफ-सुथरी जगह पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर उस पर श्री कुबेर जी की प्रतिमा या तस्वीर रखें। अब हाथ में फूल, अक्षत और धूप लेकर श्री कुबेर जी का ध्यान करें। फिर चालीसा का पाठ करें। पाठ करते समय मन में एकाग्रता बनाए रखें और श्री कुबेर जी से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें। यदि आप नियमित रूप से श्री कुबेर चालीसा का पाठ करेंगे, तो आपको जल्द ही श्री कुबेर जी की कृपा प्राप्त होगी।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)