Ganesh Stuti : सनातन धर्म में बुधवार को भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है। भगवान गणेश की पूजा-अर्चना बुधवार के दिन विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ की जाती है। भक्तों द्वारा गणेश चालीसा, आरती, मंत्रों का जाप और भजनों का आयोजन किया जाता है। इस दिन विशेष व्रत भी रखे जाते हैं। जिसमें भक्त उपवास रखते हैं और गणेश जी की पूजा करते हैं। व्रत रखने से पूर्व विशेष विधियों और नियमों का पालन किया जाता है। बता दें कि गणेश जी को विद्या, विजय, सिद्धि और शुभ कार्यों के देवता के रूप में माना जाता है। लोग उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्ति भाव से उनकी पूजा करते हैं।
इन मंत्रों का करें जाप
दरअसल, दूर्वा और मोदक भगवान गणेश के प्रिय भोज्य वस्त्र हैं और इन्हें पूजा में भेंट किया जाता है। दूर्वा को त्रिदल रूप में प्रयोग किया जाता है और मोदक एक प्रकार का मिठाई है जो विशेष रूप से गणेश जी को समर्पित की जाती है। पूजा के समय गणेश चालीसा का पाठ और मंत्र जाप भी किया जाता है। मंत्र जाप के दौरान गणेश जी के विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है जैसे कि “ॐ गं गणपतये नमः” और “ॐ गण गणपतये नमः”।
गणेश स्तुति
इसके अलावा, भक्त अपने जीवन के सारे कष्टों को मिटाने के लिए गणेश स्तुति कर सकते हैं। जिससे आपके सारे दुख-दर्द भगवान गणेश हर लेंगे।
नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्
समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम्
मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिपम्
नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥
भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम्
बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम्
धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम्
भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥
गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम्
वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम्
विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम्
स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥
सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम्
रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम्
ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम्
सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम् ॥
सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम्
विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम्
*सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम्
नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)