Pradosh Vrat: हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह भगवान शिव को समर्पित होता है। मान्यताएं हैं कि प्रदोष व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जीवन में सफलता मिलती है। दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना भी बेहद शुभ माना जाता। आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत 15 जून को पड़ रहा है।
बन रहा है ये शुभ योग
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ गुरुवार सुबह 8:32 बजे हो रहा है और इसका समापन 16 जून शुक्रवार को सुबह 8:39 बजे होगा। प्रदोष व्रत पर बेहद ही अद्भुत संयोग बन रहा है। सुकर्मा यो में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना बेहद फलदायी होगा। सुकर्मा योग सुबह शुरू होगा और रात में समाप्त होगा।
ऐसे करें पूजा
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव का स्मरण करते हुए पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त पर शिव मंदिर जाकर या अपने घर में भगवान शिव का ध्यान करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करें।
- शिवलिंग पर सफेद चंदन का लेप लगाएं और गंगाजल के साथ-साथ गाय के दूध से महादेव का अभिषेक करें।
- अक्षत, बेलपत्र, धतूरा सफेद फूल, शमी के पत्ते, शहद, शक्कर इत्यादि समर्पित करें।
- पार्वती को श्रृंगार का सामान जरूर चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु की पूजा भी करें।
- शिव का महादेव का अभिषेक करते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
- उसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।
- पूजा समाप्त होने के बाद क्षमा शमा याचना करें।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। MP Breaking News इन बातों की पुष्टि नहीं करता। विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।)