धर्म, डेस्क रिपोर्ट। आज से दिवाली (Diwali) के त्यौहार शुरू हो चुके हैं। आज धनतेरस है। ऐसे में देशभर में धनतेरस का त्यौहार 22 और 23 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। पचांग के अनुसार, देखें तो 22 अक्टूबर शनिवार को धनतेरस, 23 अक्टूबर रविवार को रूप चतुर्दशी और 24 अक्टूबर सोमवार को महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। वहीं 25 अक्टूबर के दिन सूर्य ग्रहण है इसलिए इस दिन कोई कार्य नहीं किए जाएंगे वहीं गोवर्धन पूजन 26 और भाईदूज 27 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। ऐसे इ 24 अक्टूबर के दिन देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाएगी।
जानें क्यों मनाया जाता है Dhanteras, ये है मान्यता और खरीदारी का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल और निशिथ काल व्यापिनी अमावस्या में दिवाली का पर्व मनाया जाने वाला है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में दिवाली की लक्ष्मी पूजा का सर्वाधिक महत्त्व है। इस काल में गृहस्थियों और व्यापारियों के लिए लक्ष्मी जी का पूजन करना अत्यंत फलदाई होता है। ज्योतिष द्वारा बताया गया है कि सौरमंडल में ग्रहों का भ्रमण और ग्रहों की चाल की वजह से इस बार एक साथ ही बड़ी दिवाली और छोटी दिवाली मनाई जाने वाली है। बताया गया है कि 24 की शाम 5:27 तक रूप चतुर्दशी का पर्व मनेगा और उसके बाद शाम 5:28 से अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी। जो 25 अक्टूबर की शाम 4:19 तक रहेगी। ऐसे में 24 अक्टूबर के दिन ही दिवाली का पर्व मनाया जाएगा।
पंच महा राजयोग –
खास बात ये है कि दिवाली पर शुभ संयोग भी बन रहा है। दरअसल, हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र के संयोग की वजह से दिवाली के दिन बुध ग्रह अपनी उच्च राशि में रहेंगे। साथ ही गुरु, शुक्र और शनि ग्रह भी अपनी स्वराशि में ही विराजमान रहेंगे। इस वजह से इस दिवाली पर मालव्य योग, शश योग , भद्र योग, सुनफा योग, बाशी नामक पंच महा राजयोग बन रहे हैं। जो बेहद ही अच्छे और शुभ माने जा रहे हैं।
शुभ चौघडि़या मुहूर्त –
अमृत – प्रात:काल 6 से 7.30 तक
शुभ- सुबह 9 से 10.30 तक
चर – दोपहर 1.30 से 3 तक
लाभ – दोपहर 3 बजे से 4.30 तक
अमृत – शाम 4.30 से 6 बजे तक
लग्न अनुसार शुभ मुहूर्त –
कृष्ण लग्न- शाम 7.14 से 9.11 तक
सिंह लग्न – मध्यरात्रि 1.42 से 3.57 तक
वृष्चिक लग्न- प्रात: 8.34 से 10.51 तक
कुंभ लग्न- दोपहर 2.30 से 4.8 तक
गोधूलि प्रदोष बेला – शाम 5.50 से 8.32 रात्रि तक