Tuesday Special: भगवान हनुमान को शक्तिशाली देवताओं में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म में, भगवान हनुमान को भगवान राम का परम भक्त और महावीर योद्धा माना जाता है। उनकी भक्ति और शक्ति अद्भुत है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से भक्तों को कष्टों से मुक्ति, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है। यदि आप कर्ज से परेशान हैं और चाहते हैं कि आपके जीवन से यह बोझ दूर हो जाए, तो भगवान हनुमान का ‘ऋणमोचक स्तोत्र’ का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करता है और उनसे कर्ज से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करता है।
॥ श्री हनुमान स्तोत्र ॥
”वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥
सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं। वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न॥
भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्॥
सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न।
इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥
सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ।
कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम्॥
सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम्।
प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः॥
प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत्।
विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम्॥
नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम्।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम्॥
रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम्।
विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम्॥
नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः।
सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम्॥
इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः।
प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह॥
नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे। लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥
इस स्तोत्र का पाठ कैसे करें
1. हर मंगलवार, सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. एक आसन पर बैठकर भगवान हनुमान की प्रतिमा या मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करें।
3. फूल और फल अर्पित करें।
4. धूप जलाएं और धूप की गंध लें।
5. इसके बाद 11 बार या 21 बार या 108 बार ऋणमोचक स्तोत्र का पाठ करें।
6. पाठ करते समय ध्यान केंद्रित करें और भगवान हनुमान से अपनी प्रार्थना करें।
7. अंत में भगवान हनुमान को नमस्कार करें और प्रसाद वितरित करें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)