Vastu Tips For House : वास्तु शास्त्र प्रकृति की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं पर आधारित होता है। यह मानता है कि एक घर या इमारत की सही ऊर्जा प्रवाह और समर्थन से उसके निवासियों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से सकारात्मक प्रभाव पहुंचता है। वास्तु शास्त्र में प्रत्येक दिशा का विशेष महत्व होता है और घर में रखी हर चीज के लिए उसकी निश्चित दिशा बताई जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि ऊर्जा सही रूप से वितरित होती है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रोका जा सके। इसी कड़ी में आज हम आपको नए घर के निर्माण से जुड़े वास्तु नियमों के बारे में विस्तार से बताएंगे…
इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान
- वास्तु शास्त्र में मासिक चक्र का महत्वाकांक्षी ध्यान रखा जाता है। इसके अनुसार, वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन मास में गृहारम्भ करने का विशेष महत्व होता है। ये मास वैदिक पंचांग के अनुसार, शुभ माने जाते हैं और सम्पूर्ण आयुर्वेद में भी मान्यता प्राप्त हैं। इन मासों में नया घर बनाने से आरोग्य, ऐश्वर्य और धन-धान्य की प्राप्ति होने की संभावना मानी जाती है। अगर आप वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन मास के बाहर घर बनाने का निर्णय लेते हैं तो आपको अन्य वास्तु नियमों का ध्यान देना चाहिए जो एक सकारात्मक और हार्मोनियस घर के निर्माण में मदद करेंगे।
- नींव खोदना घर के निर्माण का पहला और महत्वपूर्ण चरण होता है। वास्तु शास्त्र में इस चरण में कुछ विशेष नियम बताए जाते हैं। धातु का एक सर्प और कलश नींव में रखने का उल्लेख इस नियम का हिस्सा है। इसका मान्यतानुसार, शेषनाग घर की रक्षा करते हैं और कलश को क्षीरसागर का प्रतीक माना जाता है, जिसमें जल और दूध मिला होता है। कलश में सिक्का भी डाला जाता है जो लक्ष्मी जी के प्रतीक के रूप में उपयोग होता है।
- वास्तु शास्त्र में आयताकार (चौकोर) और आयताकार (चौड़ाई की दुगुनी से अधिक लंबाई नहीं होनी चाहिए) मकानों को उत्तम माना जाता है। आयताकार मकान में, प्लॉट की विस्तार की जगह को छोड़कर, मकान को पीछे की ओर बनाना चाहिए। इसका मतलब है कि मकान की पीछे की दीवारें प्लॉट की सीमा से थोड़ी आगे होनी चाहिए। इसके विपरीत, आयताकार मकान में मकान को आगे की ओर बनाना चाहिए।
- वास्तु शास्त्र में तीन और छ: कोन वाले घरों को आयु के लिए अशुभ माना जाता है, अर्थात इन कोनों में रहने से वास्तविकता और ऊर्जा का लोप हो सकता है जबकि पांच कोन वाले घरों में रहने से वास्तुकला के अनुसार संतानों को कष्ट और परेशानियाँ हो सकती हैं। आठ कोन वाले घरों में रहने से वास्तुकला के अनुसार व्यक्ति पर नकारात्मकता और बीमारियों का असर पड़ सकता है। वहीं, 18 कोन वाले मकानों को वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है। इसलिए, इन कोनों के मकानों में धन की हानि, विवाह या अन्य समस्याएं हो सकती है।
- वास्तु शास्त्र में, पूजा और कुलदेव पूजा को वास्तु दोषों को दूर करने और घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कार्य नए घर में शिफ्ट होने के बाद किया जाता है। नए घर में वास्तु पूजा करने से पूजा के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा घर को शुद्ध करती है और दूषित ऊर्जा को हटाती है। कुलदेव की पूजा भी घर के वास्तु और ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण होती है। यह पूजा घर के पारिवारिक देवता या वंशदेवता के साथ संबंधित होती है। इससे परिवार के सदस्यों की सुरक्षा, समृद्धि और समृद्ध जीवन की कामना की जाती है।
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